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सेन वंश |
अपने पिता की मृत्युके समय राय लखमनिया ( लक्ष्मणसेन ) माता के में था । अतएव उस समय राजमुकुट उसकी माँके पेट पर रक्खा गया। उसके जन्म समय ज्योतिषियोंने कहा कि यदि इस समय बालकका जन्म हुआ तो वह राज्य न कर सकेगा । परन्तु यदि दो घण्टे बाद जन्म होगा तो वह ८० वर्ष राज्य करेगा । यह सुनकर उसकी माँने आज्ञा दी कि जब तक वह शुभ समय न आवे तब तक मुझे सिर नीचे और पैर ऊपर करके लटका दो । इस आज्ञाका पालन किया गया और जब वह समय आया तब उसे दासियोंने फिर ठीक तौर पर सुला दिया, जिससे उसी समय लखमनियाका जन्म हुआ । परन्तु इस कारण से उत्पन्न हुई प्रसव पीड़ा से उसकी माताकी मृत्यु हो गई । जन्मते ही लखमनिया राज्यसिंहासन पर बिठला दिया गया । उसने ८० वर्ष राज्य किया ।
हम बल्लालसेन के वृत्तान्तमें लिख चुके हैं कि जिस समय बल्लालसेन मिथिला - विजयको गया था उसी समय पीछेसे उसके मरनेकी झूठी खबर फैल गई थी । उसीके आधार पर तबकाते नासिरीके कर्त्ताने लक्ष्मणसेनके जन्मके पहले ही उसके पिताका मरना लिख दिया होगा । परन्तु वास्तलक्ष्मण-सेन जब ५९ वर्षका हुआ तब उसके पिताका देहान्त होना -माया जाता है ।
आगे चल कर उक्त तवारीखमें यह भी लिखा है
राय लखमनियाकी राजधानी नदिया थी । वह बड़ा राजा था । उसने ८० वर्ष तक राज्य किया । हिन्दुस्तान के सब राजा उसके वंशको श्रेष्ठ समझते थे और वह उनमें खलीफा के समान माना जाता था ।
जिस समय मुहम्मद बख्तियार खिलजी द्वारा बिहार (मगधके पालवंशी राज्य ) के विजय होने की खबर लक्ष्मणसेनके राज्यमें फैली उस समय राज्यके बहुतसे ज्योतिषियों, विद्वानों और मन्त्रियोंने राजासे
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