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भारतके प्राचीन राजवंश
परन्तु इसका अर्थ करनेमें १०९१ की जगह, भूलसे, १०१९ रख दिय गया है। बस इसी एक भूलसे आगे बराबर भूल होती चली गई है।
पुराने पद्योंमें बल्लालसेनका जन्म शक-संवत् ११२४ ( विक्रम संवत् १२५९ ) में होना लिखा है। वह भी ठीक नहीं है । विन्सेंट स्मिथ साहबने बल्लालका समय ११५८ से ११७० ईसवी तक लिखा है।
५-लक्ष्मणसेन । यह बल्लालसेनका पुत्र था और उसके बाद राज्यका स्वामी हुआ। इसकी निम्नलिखित उपाधियाँ मिलती हैं।
अश्वपति, गजपति, नरपति, राजत्रयाधिपति, परमेश्वर, परमभकारक, महाराजाधिराज अरिराज-मदनशङ्कर और गौड़ेश्वर ।
यह सूर्य और विष्णुका उपासक था । स्वयं विद्वानोंको आश्रय देनेवाला, दानी, प्रजापालक और कवि था । इसके बनाये हुए श्लोक सदुक्तिकर्णामृत, शार्ङ्गधरपद्धति आदिमें मिलते हैं। श्रीधरदास, उमापतिधर, जयदेव, हलायुध, शरण, गोवर्धनाचार्य और धोयी आदि विद्वानों से कुछ तो इसके पिताके और कुछ इसके समयमें विद्यमान थे। ___ इसने अपने नामसे लक्ष्मणवती नगरी बसाई। लोग उसे पीछेसे लखनौती कहने लगे। इसकी राजधानी नदिया थी । ईसवी सन ११९९ (विक्रम सं० १२५६ ) में जब इसकी अवस्था ८० वर्षकी थी मुहम्मद बख्तियार खिलजीने नदिया इससे छीन लिया ।
तबकाते नासिरीमें लक्ष्मणसेनके जन्मका वृत्तान्त इस प्रकार
लिखा है
(१)J. Bm. A. S., 1896, p. 13.
(२) J. Bm. A. S., 1865, p. 135, 136 and Elliot's History of India, Vol. II, p. 307.
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