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भारतके प्राचीन राजवंश
अथूणाके परमार मालबेके परमारोंकी अधीनतामें थे। सम्भवतः सौंथके परमार अथूणावालोंके वंशज होंगे। क्योंकि सौंथके इलाकेका कुछ हिस्सा अथूणावालोंके राज्यमें था। सौंथवाले अपनेको आबूके परमारोंके वंशज मानते हैं । उनका कथन है कि आबूके निकटकी चन्द्रावती नगरीसे आकर अपने नामसे राजा जालिमसिंहने जालोद नगर बसाया
और स्वयं वहाँ रहने लगा। यह नगर गुजरातके ईशान कोणमें था। बादको वहाँसे चलकर इनके वंशजोंने सौंथ गाँव आबाद किया । सौंथवालोंका न तो विशेष इतिहास ही मिलता है और न उनके पूर्वजोंकी वंशावली ही । इससे उनके कथन पर पूर्ण विश्वास नहीं हो सकता । परन्तु पास ही अथूणाके परमारोंका राज्य रहनेसे, सम्मव है, सौंथनाले उन्हीके वंशज हों । इनका वंश-वृक्ष भी मालवेके परमारोंके वंश-वृक्षके साथ दिया जा चुका है।
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