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भारतके प्राचीन राजवंश
अर्थात् — जिसने युवराजको जीत कर उसके सेनापतियोंको मारा और त्रिपुरी पर तलवार उठाई |
मुके समय में युवराज, दूसरा, चेदीका राजा था । उसकी राजधानी त्रिपुरी (तेवर, जिला जबलपुर ) थी । चेदीका राज्य पड़ोस में होने से, सम्भव है, मुखने हमला करके उसकी राजधानीको लूटा हो । परन्तु चेदीका समग्र राज्य मुखके अधीन कभी नहीं हुआ ।
उस समय कर्णाट देश चौलुक्य राजा तैलपके अधीन था, जिसको मुने कई बार जीता । प्रबन्धचिन्तामणि ग्रन्थ के कर्त्ताने भी यह बात लिखी है ।
इसी तरह लाट देश पर भी मुखने चढ़ाई की हो तो सम्भव है । बीजापुर के विक्रम संवत् १०५३ ( ९९७ ईसवी) के हस्तिकुण्डी ( हथूण्डी ) के राष्ट्रकूट राजा धवलके लेखसे' पाया जाता है कि मुख मेवाड़ पर भी चढ़ाई की थी। उसी समय, शायद, मेवाड़से आगे बढ़ कर वह गुजरातकी तरफ गया हो ।
उस समय गुजरातका उत्तरी भाग चौलुक्य मूलराजने अपने अधीन कर लिया था; और लाटदेश चालुक्य राजा बारपके अधीन था। ये दोनों आपस में लड़े भी थे । परन्तु केरल और चोल ये दोनों देश, मालवेसे बहुत दूर हैं । इसलिए वहाँवालोंसे मुञ्जकी लड़ाई वास्तव में हुई, या केवल प्रशंसा के लिए ही कविने यह बात लिख दी - इसका पूर्ण निश्चय नहीं हो सकता ।
प्रबन्धचिन्तामणिके कर्त्ता मेरुतुङ्गने मुनका चरित विस्तारसे लिखा है । उसका संक्षिप्त आशय नीचे दिया जाता है । वह लिखता है:
मालवा के परमार राजा श्रीहर्षको एक दिन घूमते हुए शर नामक घास के वनमें उसी समयका जन्मा हुआ एक बहुत ही सुन्दर बालक मिला
( १ ) Jour, As. Soc., Bong, Vol. LXII, Part 1 P. 311.
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