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भारतके प्राचीन राजवंश
द्वितीय- ... ... ... ...
... ...श्रीमान्यथोर्वी धृतवान्वराहः ॥ ५ ॥ धरणीवराह नामका एक चापवंशी राजा वर्धमानमें भी हुआ है । पर उसका समय शक संवत् ८३६ (विक्रम-संवत् ९७१ ईसवी सन ९१४) है। हyडीके राष्ट्रकूट धवलके लेखका धरणीवराह यही परमार धरणीवराह था। गुजरातके मूलराज द्वारा आबूसे भगाये जानेपर वह गोड़वाड़के राष्ट्रकूट राजा धवलकी शरण गया था। यह घटना भी यही सिद्ध करती है। राजपूतानेमें धरणीवराहके नामसे एक छप्पय भी प्रसिद्ध है
मंडोवरसामंत हुवो अजमेर सिद्धसुव । गढ़ पूगल गजमल्ल हुवौ लौवै भांणभुव । अल्ह पल्ह अरबद्द भोज राजा जालन्धर ॥ जोगराज धरधाट हुवी हांसू पारकर । नवकोट किराड्ड संजुगत थिर पंवार हर थप्पिया।
धरणीवराह धर भाइयां काट बांट जूजू किया ॥ छप्पयमें लिखा है कि धरणीवराहने पृथ्वी अपने नौ भाइयोंमें बाँट दी थी। पर यह छप्पय पीछेकी कल्पना प्रतीत होता है । इसमें सिद्ध नामक भाईको अजमेर देना लिखा है । अजमेर अजयदेवके समय बसा था। अजयदेवका समय ११७६ के आसपास है । उसके पुत्र अर्णोराजका एक लेख, विक्रम संवत् ११९६ का लिखा हुआ, जयपुर शेखावाटी प्रान्तके जीवण-माताके मन्दिरमें लगा हुआ है । अतः धरणीवराहके समयमें अजमेरका होना असम्भव है।
६-महिपाल । यह धरणीवराहका पुत्र था । उसके पीछे राज्यधिकार इसे ही मिला । इसका दूसरा नाम देवराज था । विक्रम संवत् १०५९ (ईसवी सन् १००२) का इसका एक लेख मिला है।
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