________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ सकारादि (७९३०) सपिण्डः (१)
(७९३१) सर्पिर्गुडः (२) (सपिटिका)
(सपिटिका) (ग. नि. । परि. गुटिका. ४. ; व. से. । राजयक्ष्मा.) (ग. नि । गुटिका. ४ ; च. सं.। चि. त्वक्षीरी श्रावणीद्राक्षामूर्षिभकजीवकैः ।
क्षतक्षीणा. ; वृ. मा. ; च. द. । राजयक्ष्मा. वीरर्धिक्षीरकाकोलीबृहतीकपिकच्छुभिः॥
व. से. । क्षतक्षया.) खजूरफलमेदाभिः क्षीरपिष्टैः पलोन्मितः।।
बला विदारी स्वा च पश्चमूली पुनर्नवा । धात्री विदारीक्षुरसमस्थेः प्रस्थं घृतात्पचेत् ।।
। पश्चानां क्षीरवृक्षाणां शुङ्गा मुष्टयंशका अपि ॥ शर्कराऽष्टपलं शीते क्षौदार्धप्रस्थमेव च । एषां कषाये दिक्षीरे विदार्या स्वरसांशके। दत्त्वा सर्पिगुंडान् कासहिकाज्वरापहान् ॥ जीवनीयैः पचेत् कल्कैरक्षयात्रघृताढकम् ॥ यक्ष्माणं तमकं श्वास रक्तपित्तं हलीमकम् ।
सितापलानि पूतेऽस्मिञ्छीते द्वात्रिंशदावपेत् । शुक्रनिद्राक्षयं तृष्णां हन्युः साश्मय सकामलम्।।
गोधूमपिप्पली वांशी चूर्ण शृङ्गाटकस्य च ॥
सक्षौद्रं कुडवं शीतं तत्सर्व खजमूरिछतम् । बंसलोचन, गोरखमुण्डी, द्राक्षा ( मुनक्का ),
स्त्यानं सर्पिर्गुडान् कृत्वा भूर्जपत्रेण वेष्टयेत् ॥ मूर्वा, ऋषभक, जीवक, शतावर, ऋद्वि, क्षीरकाकोली,
ताजग्ध्वा पलिकान्क्षीरं मद्यं चानुपिबेत्कफे । कटेली, कौंच के बीज, खजूर के फल, और मेदा;
शोषे कासे क्षतक्षीणे श्रमस्त्रीभारकर्षिते ।। इनका ५-५ तोले चूर्ण लेकर सबको दूध के साथ रक्तनिधीने तापे पीनसे चोरसि स्थिते । पीस लें । तदनन्तर आमले, विदारीकन्द और ईखके शस्ता पार्श्वशिरःशूले भेदे च हस्तपादयोः॥ २-२ सेर रस. तथा २ सेर घीको एकत्र मिला कर खरैटी, विदारीकन्द, पञ्चमूल (शालपर्णी, उसमें उपरोक्त पिसी हुई औषधे तथा ४० तोले | पृष्ठपर्णी, कटेली, बड़ी कटेली, गोखरु ), पुनर्नवा, खांड मिला कर पकावे और सब अवलेह तैयार बड़की कोंपल, पीपलवृक्षकी कोंपल, पिलखनकी हो जाय तो उसे अग्निसे नीचे उतार कर, ठंडा
कोंपल, गूलरकी कोपल और सिरसकी कोंपल
५-५तोले लेकर सबको एकत्र कूटकर ३२ सेर करके उसमें १ सेर शहद मिला लें।
पानीमें पकावें और चौथा भाग शेष रहने इसके सेवनसे कास, हिचकी, ज्वर, यक्ष्मा,
पर छान लें। तमकश्वास, रक्तपित्त, हलीमक, शुक्रक्षय, निद्राक्षय, .
८ सेर गोघृतमें यह क्वाथ, ८-८ सेर गाय तृषा, अश्मरी और कामलाका नाश होता है ।
और बकरी का दूध तथा ८ सेर विदारीकन्दका (मात्रा-१ से २ तोले तक ।) रस एवं ११-१। तोला जीवनीय गणकी ओषधियों
For Private And Personal Use Only