SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 231
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१६ भारत-भैषज्य रत्नाकरः [ सकारादि संचल ( काला नमक ), बायबिडंग, सेंधा । नोट--ग. नि. वात रोगा. १९ में इसी नमक, सोंठ, काली मिर्च और पीपल समान भाग । चर्णको अपतन्त्रक नाशक लिखा है। ले कर चूर्ण बनावें । (७८८३) सौवर्चलाधं चूर्णम् (१) इसे शहद में मिलाकर चाटनेसे वातज छर्दि | (ग. नि. । परि. चूर्णा. ३ ) नष्ट होती है। सौवर्चलं कणा शुण्ठी रामठं जोरकद्वयम् । (मात्रा-१ माशा। थोड़ी थोड़ी देर बाद | अजमोदा च मरिचमम्लवेतसमेव ।। चाटना चाहिये।) समभागमिदं चूर्ण मन्दाग्निविनिवारणम् ॥ (७८८१) सौवर्चलादिचूर्णम् (२) । संचल (काला नमक), पीपल, सेठ, हींग, (हा. सं. । स्था. ३ अ. ३ ; ग. नि. । | सफेद और काला जीरा, अजमोद, काली मिर्च और ' अम्लवेत समान भाग ले कर चूर्ण बनावें । भतिसारा. २) । यह चूर्ण अग्निमांधको नष्ट करता है। सौवर्चलं प्रतिविषा हिङ्गु पथ्या कलिकः ।। - (मात्रा--१॥ माशा ।) शुण्ठी चामातिसारनं शूलनं ग्राहिपाचनम् ॥ । 1. (७८८४) सौवर्चलायं चूर्णम् (२) संचल (काला नमक), अतीस, हींग, हरे, (वृ. नि. र. । शूला.) इन्द्रजौ और सेठ समान भाग ले कर चर्णे | सौवचनाम्लदेतस विडलवणयुतससैन्धवाबनावें। तिविषा । ___ यह चूर्ण आमातिसार नाशक, शूलन, माही विकटक वीजपुररसान्वितमशितं गुरुगुल्मशूऔर पाचक है। . लहरम् ।। (७८८२) सौवर्चलादिचूर्णम् (३) संचल (काला नमक), अम्लबेत, बिडलवण, (ग. नि. । हृदोगा. २६) | सेंधा नमक, अतीस, सांठ, मिर्च और पीपल समान सौवचलं शृङ्गवेरं दाडिमं साम्लवेतसम् ।। भाग ले कर चूर्ण बनावें । श्वासहद्रोगशमनमिदं स्यादिङ्गपश्चमम् ॥ । इसे बिओ रेके रसमें मिलाकर सेवन करनेसे संचल (काला नमक), सेठ, अनारदाना, गुल्म और शूलका नाश होता है । अम्लबेत और हींग समान भाग ले कर चूर्ण ___(मात्रा-२ माशे।) बनावें । ___ (७८८५) स्तम्भकचूर्णम् ___इसे सेवन करनेसे श्वास और हृद्रोगका नाश | (यो. त. । त. ८०) होता है। | खसतिलपलमेकं शुण्ठीकर्ष सितापलद्वन्द्वम् । (मात्रा-५-६ रत्ती । अनुपान- | एतच्चूर्ण पयसा पीतं रेतोरयं ध्रुवं पत्ते॥ उष्ण जल ।) खसखास (पोस्त) ५ तोले, सोंठ ११ तोला For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy