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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कषायप्रकरणम् ] पश्चमो भागः (७१९७) शतावर्यादिक्काथः (४) शतोवर, बला (खरैटी) की जड़ और मुनक्काके (भा. प्र.; ग. नि. । मूत्रकृच्छा. : वृ. मा.। मत्र- | साथ पकाया हुवा दूध मिसरी मिला कर पीने या कृच्छ्रा.; यो. र.; व. से.; च. द.; वृ. नि. । मूत्रक) खरैटीके बीजों (बोज बन्द) का चूर्ण सेवन करनेसे भ्रम (मूर्छा) का नाश होता है । शतावरीकाशकुशश्वदंष्टा विदारिशालीक्षुकसेरुकाणाम् । ( ओषधियां २॥ तोले, दूध २० तोले, पानी क्वार्थ पिवेन्माक्षिकसम्पयुक्त ८० तोले । मिला कर पानी जलने तक पकावें।) कृच्छे सदाहे सरुजे विबन्धे ॥ (७२००) शतावर्यादियोगः शतावर, कास, कुशकी, जड़, गोखरु, विदा ( ग. नि. । रक्तपित्ता. ८) रीकन्द, शाली धान्य की जड़, ईखकी जड़, और शतावरीगोक्षुरके शृतं वा कसेरु समान भाग ले कर काथ बनावें । इसमें शहद मिलाकर पीनेसे दाह और पीड़ा __ शृतं पयो वाऽप्यथ पणिनीभिः । युक्त मूत्रकृच्छ्रका नाश होता है। रक्तं निहन्त्याशु विशेषतस्तु (७१९८) शतावर्यादिवादशाङ्गकषायः यन्मूत्रमार्गात्सरुनं प्रयाति ।।। (ग. नि. । वाता. १९) शतावर और गोखरुके साथ या शालपर्णी, पृष्टपर्णी, मुद्गपर्णी और माषपकि साथ पकाया शतावरीपुष्करमूलमुस्ता हुवा दूध पीनेसे मूत्र मार्गसे पीड़ाके साथ निकलन पथ्यामृताः सातिविषाः सरास्नाः । वाला रक्त बन्द हो जाता है। वराटरूषः सुरदारु शुण्ठी (ओषधियां २॥ तोले, दूध २० तोले, पानी दुरालभा वातहरः कषायः ।। ८० तोले । पानी जलने तक पकावें । ) शतावर, पोखरमूल, नागरमोथा, हर, गिलोय, अतीस, रास्ना, त्रिफल!, बासा, देवदार, सेांठ और (७२०१) शतावर्या दिरसः धमासा समान भाग ले कर क्वाथ बनार्वे ।। (यो. र. । अमर्य.) यह क्वाथ वातव्याधिको नष्ट करता है। शतावरीमूलरसो गव्येन पयसा समः । (७१९९) शतावर्यादिपयः पीतो निपातयत्याशु ह्यश्मरी चिरजामपि ॥ (यो. र. । मूर्छा.) शतावरके स्वरसको गोदुग्धमें गिला कर सेवन शतावरीबलामूलद्राक्षासिद्धं पयः पिबेत् । करनेसे पुरानी अश्मरी भी शीघ्र ही निकल ससितं भ्रमनाशाय बीजं वाट्यालकस्य च ॥ । जाती है। For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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