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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ९० www. kobatirth.org भारत - भैषज्य रत्नाकरः सूखे हुवे गायके गोबरकी या सफेद चन्दन की अथवा नीलोत्पलकी नस्य लेनेसे नाक से गिरता हुवा रक्त बन्द हो जाता है । (७५२४) भृङ्गादिनावनयोगः ( ग. नि. । रक्तपित्ता. ८ ) (७५२३) शृङ्गवेराद्यनस्यम् शृङ्गरिकयोः कल्कं घातक्या मधुकस्य वा । ( ग. नि. । नेत्र. ३; वृ. मा. च. द. | नेत्र. ) घ्राणसुतेऽसृजि प्रोक्तं योषित्क्षीरेण नावनम् ॥ शृङ्गवेरं भृङ्गराजं यष्टीतैलेन मर्दितम् । नस्यमेतेन दातव्यं महापटलनाशनम् ॥ सोंठ, भंगरा और मुलैटीके समान भाग मिश्रित चूर्णको तेलमें मिलाकर नस्य देनेसे पटल नष्ट होता है । (७५२५) शक्रवल्लभो रसः (भै. र. । वीर्यस्तम्भा. ) इति शकारादिनस्यप्रकरणम् अथ शकारादिरसप्रकरणम् रसगन्धकलौहाभ्ररौप्यमानि माक्षिकम् । शाणमानेन सङ्गृह्य तुगाक्षीरीश्च कार्षिकीम् ॥ पलप्रमाणां विजयावीजञ्चैकत्र मर्दयेत् । विजयावारिणा पश्चान्मारमानां वटीं चरेत् ॥ एकैका भक्षणीयैषा पेयञ्चानु पयः पलम् । श्री शक्रवल्लभो नाम रसो वाजीकरः परः ॥ वीर्यस्तम्भकरोऽत्यर्थं प्रमदादर्पनाशनः । गतो ह्यप्सरसां शक्रो वाल्लभ्यं यत्प्रसादतः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, लोहभस्म, अभ्रक भस्म, चांदी भस्म, स्वर्ण भस्म और सोनामक्खी भस्म '५-५ माशे; बंसलोचन १ तोला और भांगके बीजों का चूर्ण ५ तोले लेकर प्रथम पारे गंधककी [ शकारादि अदरक और गेरुके कल्क अथवा धायके फूलोंके कल्क या महुवेके कल्कको स्त्रीके दूध में मिलाकर नस्य देनेसे नासासे होने वाला रक्तस्राव नष्ट होता है । For Private And Personal Use Only कजली बनायें और फिर उसमें अन्य औषधोंका चूर्ण मिलाकर सबको भांग के रसमें खरल करके १- १ माशेकी गोलियां बना I ले इनमेंसे १--१ गोली दूधके साथ सेवन करनी चाहिये । यह रस अत्यन्त वाजीकरण, स्तम्भक और कामिनी मद भंजक है | ( व्यवहारिक मात्रा - ४-६ रत्ती । ) (७५२६) शङ्करलोहः 1 ( भा. प्र. म. ख. २; व. से. । अर्शो. ) प्रणम्य शङ्करं रुद्रं दण्डपाणि महेश्वरम् । जीवितारोग्यमन्त्रिच्छन्नारदोऽपृच्छदीश्वरम् ॥ सुखोपायेन हे नाथ शस्त्रक्षाराग्निभिर्विना । चिकित्सामर्शसां नृणां कारुण्याद्वक्तुमर्हसि ॥
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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