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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रसायन वाजीकरण] ५१७१ महामदनमोदकः काम वर्द्धक ५१७२ महारतिवल्लभो मोदकः ५१७८ माषादिमोदकः ५७७४ यवादि वटकः ५९२५ रतिवल्लभमोदकः ५९२८ राज योगः ६६६७ वल्लभा गुटिका ६६६८ वाजीकरण ६६६९ वानरी गुटिका ६६७५ वीर्यस्तम्भकरी वटिका ६६७६ वीर्यस्तम्भक वटिका ६६७७ ܕܕ او वटी ६६७९ वृष्य गुटिका ६६८९ वृंहणी गुटिका ६२५६ लोह गुग्गुलुः ५१९३ मधु हरीतकी www.kobatirth.org शुक्र दोष, दारुण नपुंसकतो कामाग्नि रक्षक कामशक्ति वीर्यवर्द्धक कष्ट साध्य नपुंसकता, शुक्रदोष वीर्य की कमी, नपुंस कतो, प्रमेह, वायु चतुर्थो भागः नपुंसकता (उत्तम वा जीकरण) गुग्गुलु -प्रकरणम् रसायन नपुंसकता ( बलवीर्य वर्द्धक, उत्तेजक) अत्युत्तम वाजीकरण स्तम्भक अत्यन्तस्तम्भक, वा जीकरण स्तम्भक, बल वर्ण तथा अग्निवर्द्धक अवलेह - प्रकरणम् अत्यन्त काम वर्द्धक अत्यन्त वृष्य, वाजीकरण रसायन, अनेक रोग नाशक ५२०६ मलाई पाकः ५२०७ मुशली पाकः ६७०४ " ६७०१ वाजीकरो लेहः कामोत्तेजक "7 ६७०२ ६७०३ " 11 39 " 19 " For Private And Personal Use Only " ६७०९ वहिरीतक्य वहः ६७१० विजया योगः ६७१३ विडङ्गाद्यवले हः ६७१७ वृष्य योगः ६७३० वृहत् भल्लातक लेहः ५२५९ मापादि घृतम् Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६२६५ लघुअश्वगंधाद्यं घृतम् ६७२६ वचादि घृ० वाजीकरण, वीर्यवर्द्धक धातुक्षय, अग्निमांद्य, प्रमेह, नपुंस्कता (अत्यन्त कामोत्तेजक) ८७९ अत्यन्त कामोत्तेजक आधा पहर पश्चात् कामको उद्दीप्त कर देता है । लिंगकी शक्ति बढ़ती है और वीर्य क्षय नहीं होता । अनेक रोग नाशक घृत-प्रकरणम् (काया कल्प ) समस्त रोग नाशक, यौवन और आयुवर्द्धक | रसायन बलवीर्यवर्द्धक, का मोत्तेजक बालोंको काला, दृष्टिको ती और वीर्य तथा आयुकी वृद्धि करता है । लिंग शक्ति और वीर्य वर्द्धक बल्य, पौष्टिक मेधा, स्मृति, अग्नि और वाणी वर्द्धक ।
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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