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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[रक्तपित्त
६०२९ रक्तपित्तान्तक रक्तपित्त
मिश्र-प्रकरणम् लौहम्
| ५७१९ मोचरस सिद्ध गुद प्रवृत्त रक्तस्राव ६०३० रक्तपित्तान्तको भयंकर रक्तपित्तको भी |
क्षीरम् शीघ्र नष्ट करता है।
५८४७ यवादि मन्थ रक्तपित्त, दाह, तृषा ६११८ रसामृत रसः रक्तपित्त, ज्वर, अ
६१७० रक्तपित्ते कति- कुछ सरल योग म्लपित्त ७०१३ वासा सूत रसः रक्तपित्त
पययोगाः
रसः
__ (४५) रसायनवाजीकरणाधिकारः
-
कषाय-प्रकरणम्
६६०० वाराहीकन्दचूर्णम् वीर्य वर्द्धक ४९८५ मण्डूकपर्ष्यादि- रसायन
६६०१ , , योगः वृद्धभी युवाके समान रसायनम्
हो जाता है।
६६२० विडंगादियोगः जरा, व्याधि (सौन्दर्य चूर्ण-प्रकरणम्
वर्द्धक) ५०९२ मदनप्रकाशचू- बल वीर्य वर्द्ध क, प्रमेह । ६६२३ विदार्यादिचूर्णम् वीर्य वर्द्धक
र्णम् नाशक, अत्यन्त कामो- ६६२४ , योगः वृद्धको भी तरुणके त्तेजक
समान स्त्री समागममें ५०९३ मधुक
___ समर्थ बना देता है। अत्यन्त कामवर्द्धक
, ५१३२ माष
६६२५ बल, वीर्यवर्द्धक, बलि
, ,
,
६६३६ विश्वाचं चूर्णम् बुद्धि वर्द्धक पलित नाशक
६६३९ वृद्धदारुक. ५१३३ माषचूर्णयोगः
मति, स्मृति, बुद्धि अत्यन्त कामवद्धक
रसायनः वर्द्धक ५१३४ माषपण्यांदिचू- " " " ६६४२ वृषादि चूर्णम् वीर्य वर्द्धक
६६४६ वृहद्वाराहीकन्द- क्लीवता, प्रमेह, (स्त५१४२ मुषल्यादि , काम वक
चूर्णम् म्भक) ५७६६ यष्टिमधुकयोगः अत्यन्त कामोत्तेजक ५९०८ रसायन चूर्णम् , बल वर्द्धक,
गुटिका-प्रकरणम् ६५८७ वचा रसायनम् मेधा वर्द्धक वाणी शो- ५१६० मदनवर्द्धनो मो- काम शक्ति वर्द्धक
दकः
__णम्
घक
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