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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८५८ धूप-प्रकरणम् ५४३० मसूर धूपः ज्वर ५४३१ मसूरिकान्तकधूपः मसूरिका ५४३२ मार्जारविष्ठा ५४३३ माहेश्वर ५४३५ "" ५८१९ यवादि ६००३ रालादि ६००४ रुगादि धूपः ६८६९ वचादि رو 11 ܕ " 19 "" "" "" " www. kobatirth.org भारत - भैषज्य रत्नाकरः ज्वर सुरावेश ज्वर ज्वर ज्वर सम्बन्धी कम्पन अञ्जन-प्रकरणम् ५४३९ मनः शिलाद्यन्ञ्जनम् सन्निपातको तन्द्रा विषम ज्वर ५४४० 29 29 ६०१७ राजिकाद्यञ्जनम् ज्वर ६०१८ रास्नाद्यञ्जनम् तन्द्रिक सन्निपात ६३२२ लशुनाद्यञ्जनम् ज्वर ६३२३ मसूरिकामें कृमि उत्पन्न नहीं होते, हो गये हों तो नष्ट हो जाते हैं। ज्वर विषम ज्वर कफ वातज्वर, रक्तपित्त तथा अतिसार युक्त ज्वर ६३२६ लोहभस्माद्यञ्जनम् सन्निपातकी तन्द्रा ६८७८ विषमज्वरान्त विषम ज्वर काञ्जनम् "" ५४५५ मधूकादिनस्यम् बेहोशी ५४५८ मरिचादि कर्णक सन्निपात ५४६० तन्द्रिक ५४६१ "" ५४६३ मातुलुङ्गादि,, भुननेत्र कफको ढीला करके निकालती है । शिर ܕܪ 19 नस्य-प्रकरणम् For Private And Personal Use Only ५४६५ मोहान्धसूर्य, ६०२४ रेचनसञ्ज्ञक ६०२५ " "" 39 "2 27 ५५०६ मध्यम कस्तूरी भैरवरसः ५५०९ मनः शिलादि - " " ज्वराङ्कुशः ५५१७ मन्थानभैरवरसः " ५५१९ ५५२३ मल्लचन्द्रोदयः Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रस-प्रकरणम् " [ ज्वर तन्द्रा बेहोशी पीड़ा, हृदयशूल तथा कण्ठ, पार्श्व और मुखकी वेदना सन्निपातकी मूर्च्छा सन्निपात सन्निपात और विसू चिका में अत्युपयोगी है। ५५२६ मसूरिकारि रसः सर्वदोषज सर्वदेहगत मसूरिका " वात प्रधान सन्निपात, कफ, शोथ विषमज्वरको अवश्य करता है । घोरनवीनज्वर, भयंकर सन्निपात, शीतज्वर, पूर्ववर
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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