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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्वर] चतुर्थों भागः ८५७ ५२५२ महाषट्पलकं घृ० जीर्ण ज्वर, प्लोहा, । ६८२१ वृहत्पिपल्याचं समस्त जीर्णज्वरे, विहिक्का, प्रतिश्याय. तैलम षमज्वर, सन्निपात, ५९५० रोहिण्यादिघृतम् ज्वर, तृषा, भ्रम, मू. पुनरावर्तक ज्वर, », शूल बारीके ज्वर ६२६२ लघुषट्पलकं , ज्वर, प्लीहा ६८२२ बृहदङ्गारक , ज्वर, शोथ, पाण्डु ६२६९ लशुन , ज्वर, कास, अरुचि, छर्दि, कृशता, पार्व आसवारिष्ट-प्रकरणम् शूल, प्लीहा, शोथ। ५३३९ मृगमदासवः सन्निपात ज्वर, हिक्का ६७४३ वासाचं , जीर्ण ज्वर | ५३४० मृतसंजीवनीसुरा सन्निपातमें शरीरका ६७४४ , , समस्त ज्वर ठंडा होजाना ६७४६ विडङ्गाय , जीर्ण कफ ज्वर लेप-प्रकरणम् ५३४९ मधुकादि लेपः शिरकी तपन, कम्प, तैल-प्रकरणम् मोह, वमन, हिक्कादि ५७९८ यवादि तैलम् ज्वर, प्रबल दाह, ज्वरके उपद्रव अङ्ग प्रहर्ष ५३५० मधुकादि , आंखोंके ऊपरकी मसू६२८५ लाक्षादि , ज्वर, अस्थि वेदना, रिकाको नष्ट करता है। निद्रा | ५३७८ मातुलुङ्गकेसरादि जिह्वा, तालु, गले और ६२८६ , , बालकोंका ज्वर, नि योगः क्लोमका सूखना र्बलता ५३७९ मातुलुङ्गरसादि तालुशोष, दाह योगः ६२८७ , ,(मध्यम) जीर्णज्वर, विषम ज्वर, ५३८१ मातुलुङ्गादिलेपः मसूरिकोको शीघ्र पका क्षय देता है। दाहनाशक। ६२८८ , , (महा) दाह, ज्वर, प्रलाप, ५४१४ मुद्गादि लेपः दाह तोलु शोष ५९७६ रक्ताश्वमारपुष्पा- शिर पीड़ा ६२८९ , ,, (लघु) दाह, शीत, ज्वर दि लेपः ६८२० वृहत्किरातादि सन्तत सतत आदि ५९९९ रास्नादि लेपः कर्णशल तैलम् विषम ज्वर, प्लीहादोषज ६८५९ विदार्यादि ,, दाह, तृषा ज्वर, शोथ १०८ For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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