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ज्वर]
चतुर्थों भागः
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५२५२ महाषट्पलकं घृ० जीर्ण ज्वर, प्लोहा, । ६८२१ वृहत्पिपल्याचं समस्त जीर्णज्वरे, विहिक्का, प्रतिश्याय.
तैलम षमज्वर, सन्निपात, ५९५० रोहिण्यादिघृतम् ज्वर, तृषा, भ्रम, मू.
पुनरावर्तक ज्वर, », शूल
बारीके ज्वर ६२६२ लघुषट्पलकं , ज्वर, प्लीहा
६८२२ बृहदङ्गारक , ज्वर, शोथ, पाण्डु ६२६९ लशुन , ज्वर, कास, अरुचि, छर्दि, कृशता, पार्व
आसवारिष्ट-प्रकरणम् शूल, प्लीहा, शोथ। ५३३९ मृगमदासवः सन्निपात ज्वर, हिक्का ६७४३ वासाचं , जीर्ण ज्वर
| ५३४० मृतसंजीवनीसुरा सन्निपातमें शरीरका ६७४४ , , समस्त ज्वर
ठंडा होजाना ६७४६ विडङ्गाय , जीर्ण कफ ज्वर
लेप-प्रकरणम्
५३४९ मधुकादि लेपः शिरकी तपन, कम्प, तैल-प्रकरणम्
मोह, वमन, हिक्कादि ५७९८ यवादि तैलम् ज्वर, प्रबल दाह,
ज्वरके उपद्रव अङ्ग प्रहर्ष ५३५० मधुकादि , आंखोंके ऊपरकी मसू६२८५ लाक्षादि , ज्वर, अस्थि वेदना,
रिकाको नष्ट करता है। निद्रा
| ५३७८ मातुलुङ्गकेसरादि जिह्वा, तालु, गले और ६२८६ , , बालकोंका ज्वर, नि
योगः क्लोमका सूखना र्बलता
५३७९ मातुलुङ्गरसादि तालुशोष, दाह
योगः ६२८७ , ,(मध्यम) जीर्णज्वर, विषम ज्वर,
५३८१ मातुलुङ्गादिलेपः मसूरिकोको शीघ्र पका क्षय
देता है। दाहनाशक। ६२८८ , , (महा) दाह, ज्वर, प्रलाप,
५४१४ मुद्गादि लेपः दाह तोलु शोष
५९७६ रक्ताश्वमारपुष्पा- शिर पीड़ा ६२८९ , ,, (लघु) दाह, शीत, ज्वर
दि लेपः ६८२० वृहत्किरातादि सन्तत सतत आदि
५९९९ रास्नादि लेपः कर्णशल तैलम् विषम ज्वर, प्लीहादोषज
६८५९ विदार्यादि ,, दाह, तृषा ज्वर, शोथ
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