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अर्बुद]
चतुर्थो भागः
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(६) अर्बुदाधिकारः प-प्रकरणम्
अर्बुदको नष्ट करने ५४१७ मूलकक्षारादिलेपः अर्बुद
वाला सिद्ध योग ५४१८ , बीजादि , अर्बुद, गण्डमाला
रस-प्रकरणम् ६८४५ वटादि , सात दिनमें प्रवृद्ध ६१६१ रौद्र रसः अर्बुद
(७) अशोधिकारः
कपाय-प्रकरणम | ५९२६ रसाअनादि वटी रक्तारी ६५२३ विडङ्गादिकाथः अर्श, शोथ, अतिसार ६२४५ लघुशरण अर्श (अत्यन्त दीपन
__ मोदकः पाचन) चूर्ण-प्रकरणम्
६२५४ लागल्यादि , कफज अर्श ५१०८ मरिचादि चूणम् वातारी
६६७८ वृद्ध दारु , ६ प्रकारका अर्थ ५१२२ महानिम्बबीज रक्तार
६६८३ व्योषादि गुटिका अर्श, त्वग्दोष योगः ५१५३ मुशल्यादि योगः भी
गुग्गुलु-प्रकरणम् ५७५१ यवक्षारादिचूर्णम् अर्शगत अग्निमांप ५७७७ योगराजगुग्गुलुः अर्श, अरुचि, नाभि
५७७७ योगराजलः । ६२३२ लवणोत्तमादि अर्श
शूल, अग्निमांद्य चूर्णम् ६२३८ लाक्षादि योगः रक्तार्श
अवलेह-प्रकरणम् ६६३८ विजय चूणम् अर्श, शोथ; कास, ज्वर ५१८९ मधुपक्व हरीतकी त्रिदोषज भी ६६५६ व्योषादि चूर्णम् अर्श, शोथ, मलावरोध, अग्निमांथ
घृत-प्रकरणम्
५२१४ मधुकादि घृतम् अर्श, अतिसार, संग्रगुटिका-प्रकरणम्
हणी, ज्वर, अरुचि, ५१६३ मरिचादि मोदकः अर्श
गुदभ्रंश, अफारा ५१६४ , वटी रकार्य
६२६७ लघु चव्यादि अर्शनाशक, ग्रहणी ५१६६ मरिचाया गुटिका अर्थ
घृतम्
दीपक
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