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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[अम्लपित्त
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(४) अम्लपित्ताधिकारः
कपाय-प्रकरणम्
| ६१२२ रसेन्द्र गुटिका सैकड़ों वैद्योंसे न आ५७२२ यवादि काथः अम्लपित्तकी वमन
राम होनेवाला अम्लपित्त ५७२४ , अम्मपित्त, अरुचि,
६१२३ ,, अम्लपित्त, क्षय वमन
| ६३६७ लीलाविलासरसः अम्लपित्त ६५०९ वासादिकषायः कफोल्वा अम्लपित्त
। ६३६९ ,, ,, अम्लपित्त, छर्दि, हृद६५१६ , , अम्लपित्त
यकी दाह
रस-प्रकरणम् ६११६ रसामृत चूर्णम् अम्लपित्त, परिणाम
शूल, अग्निमांच
मिश्र-प्रकरणम् ५१०१ मधुपिप्पली योगः अम्लपित्त (सरलयोग)
(५) अरोचकाधिकारः
चूर्णम्
चूर्ण-प्रकरणम् ५१२३ महापाडवं अरुचि, कण्ठ रोग, ७१३८ वैश्वानर रसः अरुचि, कास
चूर्णम् मुख रोग, कृमि ५७५७ यवानी षाडवं अरुचिको अवश्य नष्ट
मिश्र-प्रकरणम् करता, जिहाशोधक है। ५७०१ मातुलुङ्गादि भरुचि
कवलः रस-प्रकरणम्
५७०५ मुखधावन योगौ ,
५७०७ मुखधावन योगः मतज अरुचि ६०५४ रस केशरी समस्त प्रकारकी अ- ६१८१ राजिकादि शिख- रोचक, दीपक रुचि, शूल
रिणी
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