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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नम्बर ५०२३ मातुलुङ्गरसादि विसूचिकानांशक योगः सरल योग । "" नाम. प्रयोग संक्षिप्त गुण कषाय-प्रकरणम् ६२०० लवङ्गादिकाथः ६५३७ विश्वादिकषायः कफज अग्निमयं । ६५४० विसूचिका, आध्मान | 39 ५९१२ रामठाद्यं ६२१२ लघुचित्रकादि चूर्णम् ૧૦૪ चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी १ अग्निमांद्याजीर्णविसूचिकाधिकारः चूर्णप्रकरणम् ५११५ मरिचाद्यं चूर्णम् अग्निदीपक ५१२९ मातुलुंगााद,, " ६२१६ : लघुवैश्वानर,, ६२२५ लवङ्गादि ६२२६ लवङ्गांचं,, www. kobatirth.org अजीर्ण नाशक, रेचक | " 19 अत्यन्त अग्निवर्द्धक १ सप्ताह में अग्निदीत करके अर्श को नष्ट कर देता है। अत्यन्त अग्निदीपक शूल, भयंकर विसूचिका. अतिसार, वमन. अग्निवर्द्धक, रोचक, सुगन्धित, राजाओंके ६२३४ लशुनाद्यं चूर्णम् विसूचिका में अत्युपयोगी ६२४४ लोलिम्बराज- अफारा, आम, शूल, चूर्णम् गुल्म ( अत्यन्त पाचक) ६५९२ वडवानल चूर्णम् अग्निदीपक ६५९४ " ६५९५ वत्सकादि ६६०८ विडंगादि ६६३० विश्वभेषज ६६३९ विश्वादि चूर्णम् ६६४९ वृपद्वादशक ६६४५ वृहद सुख "" For Private And Personal Use Only " ६२४९ योग्य, पाचक तथा ६६७० वार्ताकुगुटिका पौष्टिक. 19 "" 39 ६६५० वैश्वानर चूर्णम् ६६६२ व्योपाद्यं ६६६३ 33 13 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजीर्ण नाशक, अग्नि दीपक अग्निदीपक, शूलनाशक अत्यन्त अग्निदीपक . क्षुधावर्द्धक, शूलनाशक अग्निदीपक . अजीर्ण, आनाह, गुल्म अजीर्ण, अग्निमांथलीहा ( अत्यन्त अग्निदीपक) अत्यन्त अग्निवर्द्धक अग्निदीपक 29 ६२४६ लवङ्गादिगुटिका अग्निदीपक, वृष्य वटी अग्निदीपक भोजनको शीघ्र पचाती तथा प्रतिश्याय और सर्वरोगनाशक गुटिकाप्रकरणम्
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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