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- चिकित्सापथप्रदर्शिनी
पहिले आप
(१) निर्णय कीजिये कि रोगीको प्रधान रोग क्या है ।
(२) रोगीकी स्थिति अनुसार निर्णय कीजिये कि उसे सस्ता काथ, चूर्णादि देना है या रस भस्म, घृतादि ।
(३) रोगीके मुख्य मुख्य लक्षण कागज पर या अपने स्मृतिपट पर लिख लीजिये ।
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फिर आप
इस चि. प. प्र. में उस रोगका अधिकार निकाल कर सामने रखिये ।
उक्त रोगाधिकारमें अपने निर्णयके अनुसार काथ चूर्ण, अवलेह, घृतादिमें से अभीष्ट प्रकरण निकाल कर सामने रख लीजिये ।
उक्त प्रकरणको ध्यान से पढ़ते जाइये, जिस प्रयोगके सामने आपके कागज पर लिखे हुवे अधिक से अधिक लक्षण मिलें वही प्रयोग अपने रोगीको सेवन कराइये । ( यदि कोई बात रोगी की प्रकृतिके विरुद्ध न हो तो )
इस थोडेसे कार्यके लिये कुछ मिनिट खर्च कर दीजिये
बस फिर आप
यश और श्री के अधिकारी हो जायंगे
यदि सावधानोसे काम लिया जाय तो यह चिकित्सा पथ प्रदर्शिनी नवीन वैद्योंके लिये सफलताको
कुंजी और पुराने अनुभवी वैद्योंके लिये श्रेष्ठ स्मारकका काम देगी ।
वैद्य गोपीनाथ गुप्त
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