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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[वकारादि
१५-१५ भावना दे कर टिकिया बना लें और | दुर्वारां ग्रहणी हन्ति दुःसाध्यां बहुवार्षिकीम् । उन्हें सुखा कर पीप ठकी छालके चूर्णमें रख कर आमशूलमतीसारं चिरोत्थमतिदारुणम् ॥ शरावसम्पुटमें बन्द करके ६ पहर अरने उपलोंकी प्रवाहिका षडांसि यक्ष्माणं सपरिग्रहम् । अग्निमें पकावें और फिर असगन्धके रसमें खरल शोथश्च कामलां पाण्डुं प्लीहगुल्मजलोदरम् ॥ करके सुरक्षित रखें।
पक्तिशूलमम्लपित्तं वातरक्तं वमि भ्रमिम् । मात्रा-१ राईके बराबर ।
अष्टादशविधान् कुष्ठान् प्रमेहान् विषमज्वरान् ॥ इसके सेवनसे कुष्ठ नष्ट होता है। चतुर्विधमजीर्णश्च मन्दामित्वमरोचकम् ।
जीर्णोऽपि पर्पटी कुर्वन् वपुषा निर्मलः सुधीः॥ (७०१७) विक्रमकेशरी रसः
जीवेद्वर्षशतं श्रीमान् वलीपलितवर्जितः । ( भै. र. ; र. रा. सु. । ज्वरा.) प्रात:करोति नियतं सततं द्विगुजां शुल्वमेकं द्विथा तारं मर्दयेद् विधिवद्भिषक् । यस्ता स विन्दति तुलां कुसुमायुधस्य ॥ पश्चाद्विषं रसं गन्धं मेलयित्वा तु भावयेत् ॥
आयुश्च दीर्घमनघं वपुपः स्थिरत्वं एकविंशतिवारांश्च लिम्पाकवल्कलद्रवैः ।।
___ हानि वलीपलितयोरतुलं बलश्च । रसः सिद्धः प्रदातव्यो गुआमात्री ज्वरान्तकृत् ।। जराव्याधिसमाकोर्ण विश्वं दृष्ट्वा पुरा हरः ॥ सर्वधरहरः ख्यातो रसो विक्रमकेशरी॥
चकार पर्पटीमेतां यथा नारायणः सुधाम् ।। १ भाग ताम्र भस्म और २ भाग चांदी
शुद्ध पारद, हीरा भस्म, स्वर्ण भस्म, चांदी भस्म ले कर दोनोंको एकत्र खरल करें और फिर उसमें १-१ भाग शुद्र पारद, शुद्ध गैरक और
| भस्म, मोती भस्म, ताम्र भस्म और अभ्रक भस्म शुद्ध बछनागवा चूर्ण मिला कर अच्छी तरह घोट
१-१ भाग तथा शुद्ध गंधक ७ भाग ले कर कर कज्जली बनावें एवं जम्बीरी नीबूको छालके
सबको एकत्र खरल करके यथा विधि पर्पटी रसकी २१ भावना दे कर १-१ रत्तीको गोलियां
बनावें । बना लें।
इसके सेवनसे कष्ट साध्य बहुत वर्षोंकी इनके सेवनसे समस्त प्रकारके ज्वर नष्ट
पुरानी संग्रहणी, भयंकर पुराना आमशूल, अतिहोते हैं।
सार, प्रवाहिका, ६ प्रकारकी अर्श, उपद्रवयुक्त
राजयक्ष्मा, शोथ, कामला, पाण्डु, प्लीहा, गुल्म, ... (७०१८) विजयपर्पटी (१)
जलोदर, पक्तिशूल, अम्लपित्त, वातरक्त, वमन, (भै. र. ; र. चं. । ग्रहण्य.) । भ्रम, १८ प्रकारके कुष्ठ, प्रमेह, विषम ज्वर, ४ रसं वज्रं हेम तारं मौक्तिकं ताम्रमभ्रकम् । प्रकारका अजीर्ण, अग्निमांद्य और अरुचिका नाश सर्वतुल्येन गन्धेन कुर्याद्विजयपर्पटीम् ॥ } होता है।
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