________________
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
५९६
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
विकारादि
बायबिडंग, अतीस, नागरमोथा, देवदारु (६६२१) विडङ्गाद्यं चूर्णम् (१) पाठा, इन्द्रजौ और काली मिर्च समान भाग लेकर (ग. नि. । चूर्णा. ३ ) चूर्ण बनावें।
विडङ्ग चित्रकं मुस्ता ग्रन्थिकं देवदारु च । यह चूर्ण शोथातिसारको नष्ट करता है । वराङ्गचविकाजाजीबिभीतकफलानि च ॥ ( मात्रा--३-४ माशे।)
शुण्ठी खदिरसारश्च मेपशृङ्गी सपिप्पली ।
भार्गी शृङ्गी तथा छत्रा कचूंरं मरिचानि च ॥ (६६१९) विडङ्गादिचूर्णम् (१३) ।
| एतानि समभागानि मूक्ष्मचूर्णानि कारयेत् । (भै. र. । नाडीव्रगा. ; ग. नि. । कुष्ठा. ३६; उष्णेन वारिणा पीतं हन्ति श्लेष्मगलामयान् ॥
यो. र. ; वृ. नि. र. ; वृ. मा.) हृद्रोगांश्चैव कासांश्च कण्ठरोगांश्च दारुणान् । विडङ्गत्रिफलाकृष्णाचूर्ण लीढं समाक्षिकम् ।। अन्ये च कफजा रोगा विलयं यान्ति तत्क्षणात्।। हन्ति कुष्ठक्रिमीन मेहनाडीव्रणभगन्दरान् ॥ | बायबिडंग, चीता, नागरमोथा, पीपलामूल,
___ यायबिडंग, हर, बहेडा, आमला और पीपल | देवदारु, दालचीनी, चव, जीरा, बहेड़ा, सेठ, समान भाग ले कर चूर्ण बनावें ।
खैरसार (कत्था), मेढासिंगी, पीपल, भरंगी, काक
| डासिंगी, सौंफ, कचर और काली मिर्च समान इसे शहदके साथ सेवन करनेसे कुष्ठ, कृमि,
भाग ले कर चूर्ण बनावें । प्रमेह, नाड़ीब्रण और भगन्दरका नाश होता है।
___ इसे उष्ण जलके साथ सेवन करनेसे कफज ( मात्रा-३-४ माशे।)
| गल रोग, हृद्रोग, खांसी, भयंकर कण्ठ रोग और (६६२०) विडङ्गादियोगः अन्य कफ रोग नष्ट होते हैं। (ग. नि. । सा. रसा. १)
(६६२२) विडङ्गाद्यं चूर्णम् (२) विडङ्गभल्लातकनागराणि
(ग. नि. । चूर्णा, ३; वा. भ. । चि. अ. ३; येऽश्नन्ति सर्पिर्मधुसंयुतानि ।
च. सं. । चि. अ. १२)
| विडङ्ग नागरं रास्ना पिप्पली हिङ्गु सैन्धवम् । जरानदी रोगतरङ्गिणी ते
भार्गी क्षारश्च तच्चूर्ण पिबेडि घृतमात्रया ।। लावण्ययुक्ताः पुरुषास्तरन्ति ॥ सकफेऽनिलजे कासे हिकायामनिलातिषु ॥ बायबिडंग, शुद्ध भिलावा और सोंठ समान | बायबिडंग, सेठ, रास्ना, पीपल, हींग, सेंधाभाग ले कर चूर्ण बनावें।
नमक, भरंगी और जवाखार समान भाग ले कर इसे घी और शहदके साथ सेवन करनेसे | चर्ण बनावें ।। जरा व्याधिका नाश हो कर सौन्दर्यकी वृद्धि | इसे धीके साथ सेवन करनेसे कफवातज कास, होती है।
| हिचकी और वातव्याधिका नाश होता है ।
For Private And Personal Use Only