________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[लकारादि
(६४६३) लोहादियोगः
मण्डूरका चूर्ण, आमला और जवाकुसमके फूल (व. से. । क्षुद्ररोगा. ; वृ. मा.)
समान भाग ले कर सबको एकत्र पीस लें।
__इसे पानीमें मिला कर शिर पर लेप करें और लोहमलामलकल्कैः सजपाकुसुमैर्नरः सदा थोडी देर पश्चात् स्नान कर लें।
स्नायी। नित्य प्रति इसी प्रकार स्नान करनेसे पलित पलितानीह न पश्यति गङ्गास्नायीव नरकानि ॥ रोग नष्ट हो जाता है ।
इति लकारादिमिश्रप्रकरणम्
For Private And Personal Use Only