________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तैलप्रकरणम् ]
- चतुर्थो भागः
४९१
तत्स्वेदितः पाकविवर्जितो द्राक
कल्क-सोंठ, मिर्च, पीपल, हर्र, बहेड़ा, संरोहमागच्छति शस्त्रघातः ॥ आमला, दन्तीमूल, हींग, सेंधानमक, चीता, देवहरी (ताजी) लजावन्तीकी जड़के कल्कसे | दारु, बच, कूठ, मुलैठी, सहजनेकी छाल, पुनर्नवा, तैल पका कर रक्खें।
काला नमक, बायबिडंग, अजवायन और गजपीइस तेलसे पाकरहित शस्त्राघातको स्वेदित | पल ५-५ तोले तथा निसोत २॥ तोले ले कर करनेसे वह शीघ्र ही भर जाता है। सबको एकत्र पीस लें। (तिलका तेल ८० तोले (१ सेर), कल्क
८ सेर अरण्डीके तैल में उपरोक्त कल्क और १० तोले, पानी ४ सेर ।)
काथ मिला कर ताम्र पात्रमें मन्दाग्नि पर पकावें ।
जब काथ जल जाए तो तेलको छान लें। (६२८३) लशुनतैलम्
इसे यथोचित मात्रानुसार प्रातः काल पीनेसे (व. से. । उदररोगा. )
अनेकों रोग और विशेषतः उदर रोग नष्ट होते हैं। लशुनस्य तुलामेकां जलद्रोणे विपाचयेत । ___ यह तेल मूत्रकृच्छ्, उदावर्त, अन्त्रवृद्धि, चतुर्भागावशेषन्तु कषायमवतारयेत् ॥ गुदकृमि, पार्व शूल, कुक्षिशूल, आमशूल, अरुचि, सत्क्वाथश्च परिस्राव्य विशाले ताम्रभाजने। यकृत, अष्ठीलिका, आनाह, प्लीहा और अङ्गपीड़ा चित्रलाढकं दद्याद्भपजानि प्रदापयेत् ॥ ... को नष्ट करता है। त्रिकटुत्रिफलादन्तीहिङ्गुसैन्धवचित्रकम् । . .. यह तेल अर्श और वातज रोगोंको १ मासमें देवदारुवचाकुष्ठं मधुशिग्रुपुनर्नवम् ॥ नष्ट कर देता है। सौवर्चलविडङ्गानि दीप्यकं हस्तिपिप्पली। (६२८४) लशुनाद्य तेलम् एतेषां पलिकान्भागांत्रिवृतार्द्धपला तथा ॥
(धन्व; भै. र. । कर्ण.) पिष्ट्वा कपायेगानेन शनैम द्वग्निना पचेत् । तत्पिबेत्यातरुत्थाय यथाग्निवलमात्रया ॥
लशुनामलकं तालं पिष्ट्वा तैले चतुर्गुणे ।
नैलाचतुर्गुणं क्षीरं पाच्यं तैलावशेषकम् ॥ निहन्ति सर्वरोगाणि जठराणि विशेषतः।
ततलं पूरयेत्कर्णे बाधिय परिनाशयेत् ॥ मूत्रकृच्छमुदावर्त्तमन्त्रवृद्धि गुदकृमीन् ॥
कल्क-लहसन, आमला और हरताल ५-५ पार्श्वकुक्षिभवं शूलमामशूलमरोचकम् ।।
| तोले ले कर सबको एकत्र पीस लें। यकृदष्ठीलिकानाहान्प्लीहानश्चाङ्गवेदनम् ॥
१२० तोले (१॥ सेर) तिलके तैलमें यह मासमात्रेण नश्यन्ति चाऑसि वातना गदाः॥
कल्क और ६ सेर गायका दूब मिला कर मन्दाग्नि काथ-~६। सेर ल्हसनको कूट कर ३२ | पर पकावें । जब दूध जल जाय तो तेलको सेर पानीमें पकायें और ८ सेर पानी शेष रहने पर | छान लें। छान लें।
इसे कानमें डालनेसे बधिरता नष्ट होती है।
For Private And Personal Use Only