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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कषायप्रकरणम् ] चतुर्थों भागः (५०७६) मुस्तादिप्रमथ्या अधकुटा करलें और इसमेंसे १। तोला चूर्णको २ ( शा. ध । ख. २ अ. २) सेर पानीमें पकावें। जब १ सेर पानी शेष रह मुस्तकेन्द्रयवैः सिद्धा प्रमथ्या पिप्पलोन्मिता। | जाय तो छान लें। सुशीता मधुसंयुक्ता रक्तातीसारनाशिनी ॥ इसे ठण्डा करके रक्खें और आवश्यकतानुसार ___ नागरमोथा और इन्द्रजौ २॥-२॥ तोले थाड़ा थाड़ा राग र थोड़ा थोड़ा रोगीको पिलाते रहें। लेकर दोनोंको पानीमें भिगोकर पीस लें और फिर ___ यह पानी पिपासा और ज्वरको नष्ट करता है। ४० तोले पानीमें पकावें । जब १० तोले पानी (५०७९) मुस्तादिहिमः शेष रहे तो छान लें। . (वृ. नि. र. । बालरो.) ___इसे ठण्डा करके शहद मिलाकर पीनेसे रक्ता- मुस्तापर्पटकोशीरवारिपद्मकसाधितम् । तिसार नष्ट होता है। शीतं वारि निहन्त्याशु त्रिधा दाहवमिज्वरान्॥ (५०७७) मुस्तादिषडङ्गपानीयम् (१) नागरमोथा, पित्तपापड़ा, खस, सुगन्धबाला (भा. प्र. । म. खं. तृष्णा .) और पद्माक समान भाग मिश्रित २ तोले लेकर, मुस्तपर्पटकोदीच्यच्छत्राख्योशीरचन्दनैः। सबको अधकुटा करके रातको १२ तोले पानीमें शृतं शीतं जलं दद्यात्तृड्दाहज्वरशान्तये ॥ मिट्टीके बरतनमें भिगो दें और प्रातःकाल मलकर ___नागरमोथा, पितपापड़ा, सुगन्धवाला, सौंफ, छान ले खस और लाल चन्दन समान भाग-मिश्रित १। इसे पिलानेसे बालकांकी दाह, वमन और तोला लेकर २ सेर पानीमें एकावें और १ सेर पानी रहनेपर छान लें। (५०८०) मुस्ताद्यष्टादशाङ्गकाथः ___ इस पानीको ठण्डा करके रखें और आव- | (च. द । ज्वरा. १; वृ. नि. र. । सन्निपाता.) श्यकतानुसार थोड़ा थोड़ा रोगीको पिलाते रहें। मुस्तपर्पटकोशीरदेवदारुमहौषधम् । इसे पीनेसे तृष्णा, दाह और ज्वरका नाश त्रिफलाधन्वयासश्च नीली कम्पिल्लकं त्रिकृत् ॥ होता है। किराततिक्तकं पाठा बला कटुकरोहिणी । (५०७८) मुस्तादिषडङ्गपानीयम् (२) | मधुकं पिप्पलीमूलं मुस्तायो गण उच्यते ॥ (वृ. मा.; च. द. । ज्वरो.) अष्टादशाङ्गमुदितमेतद्वा सन्निपातनुत् । मुस्तापर्पटकोशीरचन्दनोदीच्यनागरैः। पित्तोत्तरे सन्निपाते हितं चोक्तं मनीषिभिः । धृतशीतं जलं दद्यात्पिपासाज्वरशान्तये ॥ मन्यास्तम्भे उरोघाते उरः पार्थशिरोग्रहे ॥ नागरमोथा, पित्तपापड़ा, खस, लाल चन्दन, नागरमोथा, पित्तपापड़ा, खस, देवदारु, सेठ, नेत्रबाला और सांठ बराबर बराबर लेकर सबको हर्र, बहेड़ा, आमला, धमासा, नीलका पंचांग, कमीला, ज्वरक For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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