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-भैषज्य रत्नाकरः भारत-
नागरमोथा, मुनक्का और हल्दीका क्वाथ पीने से अथवा त्रिफला या गिलोय के क्वाथमें शहद मिलाकर पीने से कफप्रधान वातरक्तका नाश होता है। (५०७०) मुस्तादिकाथ : (२४) (ग. नि. व. से. रक्तपित्ता. ) मुस्तेन्द्रयवयष्ट्या मदना पयो मधु । शिशिरं वमनं योज्यं रक्तपित्तहरं परम् ॥ नागरमोथा, इन्द्रजौ, मुलैठी और मैनफलके बीज समानभाग लेकर क्वाथ बनावें ।
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इसे शीतल करके तथा शहद और दूध मिलाकर पीनेसे वमन होकर रक्त पित्त नष्ट हो जाता है। ( यह प्रयोग अधोगत रक्तपित्त में उपयोगी है। ) (५०७१) मुस्तादिकाथ : (२५) ( यो. र. शोफातिसा.; ग. नि. अतिसारा. २ ) मुस्तं सातिविषा दार्वी वचा शुण्ठी च तत्समम् । कषायं क्षौद्रसंयुक्तं पित्तवातातिसारिणे ॥
नागरमोथा, अतीस, दारूहल्दी, बच और सीठ समानभाग लेकर काथ बनावें ।
इसमें शहद मिलाकर पीने से पित्तवातज अतिसार नष्ट होता है ।
(५०७२) मुस्तादिकाथः (२६) (भै. र. यो. र.; च. द.; र. र.; वं. से.; वृ. नि. र; वृ. मा. । ज्वरा. शा. ध. ख. २ अ. २; यो त । त. २०; वृ. यो. त. । त. ९५; ग. नि. । ज्वरा. ) मुस्तामलक गुडूची विश्वौषधकण्टकारिकाक्वाथः । पीतः सकणाचूर्णः समधुर्विषमज्वरं हन्ति ॥ नागरमोथा, आमला, गिलोय, सेंठ और फटेली समानभाग लेकर काथ बनावें ।
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इसमें पीपलका चूर्ण और शहद मिलाकर पीने से विषमज्वर नष्ट होता है ।
(५०७३) मुस्ता दिक्काथः (२७) ( वृ. नि. र. विषमज्वर ; ग. नि. । ज्वरा १ ) मुस्तापाठा शिवा क्वाथश्चातुर्थिकज्वरापहः । दुग्धेन त्रिफला पीता हन्ति चातुर्थिकं ज्वरम् ॥
नागरमोथा, पाठा और हरेका काथ पीने से | अथवा दूधके साथ त्रिफलाका चूर्ण सेवन करने से चतुर्थिक ज्वर नष्ट होता है ।
(५०७४) मुस्तादिगणः (सु. सं. । सूत्र अ. ३८ ) मुस्ताहरिद्रादारुहरिद्राहरीतक्यामलकवि भीतक कुष्ठमती वचापाठाकटुरोहिणीशाङ्गेष्टातिविषाद्राविडी भल्लातकानि चित्रकश्चेति ॥ एष मुस्तादिको नाम्ना गणः श्लेष्म निषूदनः । योनिदोषहरस्तन्यशोधनः पाचनस्तथा ॥
नागरमोथा, हल्दी, दारु हल्दी, हर्र, आमला, बहेड़ा, कूठ, चोक, सफेद बच, पाठा, कुटकी, काकमाची (मकोय), अतीस, छोटी इलायची, भिलावा और चीतेकी जड़ । इन ओषधियोंके समूहको " मुस्तादि गण " कहते हैं ।
यह मुस्तादिगण कफनाशक, योनि और दुग्ध शोधक तथा पाचक है।
(५०७५) मुस्तादिपाचनकषायः (ग.नि. । ज्वरा. ) पाक्यं शीतकषायं वा मुस्तपर्पटकं पिबेत् ॥
नागरमोथे और पित्तपापड़े का काढ़ा अथवा शीतकषाय पीनेसे आमज्वर नष्ट होता है । यह का दोष को पकाता है।
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