________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रसप्रकरणम्
चतुर्थों भागः
१६५
मिश्रीमें मिलाकर सेवन करनेसे बल वीर्य और भागैकं शम्भुबीजं त्रितयकामशक्तिकी वृद्धि होती है।
मपि मृतं तत्समा सिद्धमूली। (५४९१) मदनकामेश्वरः
चातुर्जातं सजातीफलम(वृ. यो. त. । त. १८७)
रिचकणानागरं देवपुष्पं बलिं पारदं नागफेनं समांशं
जातीपत्रं च भागद्वितयमविमर्याहिवल्लीरसैर्याममात्रम् ।
थ पृथक्सर्वमेकत्र चूर्णम् ॥ वटी वल्लमात्रा सिताढया हि सेव्या सर्वद्वयंशा सिता स्याघृतपुनर्भोजनं नैव कार्य तदन्ते ॥
मधुसहिता मोदकीकृत्य चैतत् पयो माहिषं सेवनीयं निशादौ
खादेदग्निं समीक्ष्य प्रसभभजेन्मैथुनं निम्बुनीरं सिताढयम् । __ मभिनवानन्दसंवर्धनाय । पिबेद्वीजमुक्त्यै पुनर्मथुनं च
योगो वाजीकराख्योऽयमिह रसः कामदेवेश नाम्ना प्रसिद्धः ॥
निगदितो भैरवानन्दनाम्ना शुद्ध गन्धक, शुद्ध पारद और अफीम समान निःशेषव्याधिहन्ता दलितभाग लेकर कज्जली बनावें और उसे पानके रसमें बहुवधूद्दामकन्दर्पदर्पः॥ १ पहर घोटकर ३-३ रत्तीकी गोलियां बना लें। अभ्रकभस्म ४ भाग, बंग-भस्म २ भाग,
_इनमें से १ गोली मिश्री के साथ खाकर उसके | पारद-भस्म (अभाव में रस सिन्दूर) १ भाग, सतापश्चात् किसी प्रकारका भोजन न करें और रात वरका चूर्ण ७ भाग तथा दालचीनी, तेजपात, इलाहोने पर भैंसका दूध पियें। इस प्रकार यह गोली यची, नागकेसर, जायफल, काली मिर्च, पीपल, खाकर मैथुन किया जाय तो जब तक मिश्रीयुक्त सोंठ, लौंग और जावित्रीका चूर्ण २-२ भाग लेकर नीबूका रस न पिया जायगा तब तक वीर्यपात सबको एकत्र घोटकर उसमें सबसे दो गुनी (६८ नहीं होगा।
भाग) खांड एवं आवश्यकतानुसार घी और शहद मदनकामेश्वरो रसः
मिलाकर मोदक बनावें। (वृ. यो. त. । त. १४७)
___इन्हें सेवन करनेसे कामशक्ति अत्यन्त प्रबल "मदन कामदेवो रसः" सं. ५४८८ देखिये।
हो जाती है। (५४९२) मदनमञ्जरीगुटिका (भैरवानन्दरसः)
( मात्रा-३-४ माशे।) (वृ. यो. त. । त. १४७; यो. तं. । त. ८० वै. (५४९३) मदनमुन्मद्रस:
र. । वाजीकरणा.; भा. प्र. । उ. खं.) . (र. र. स. । उ. खं. अ. २७) चत्वारो व्योमभागास्तदनु
मासार्धमानं हरजं विमर्य निगदितं भागयुग्मं च वङ्ग
रसेन मोवस्य रसेन तेन ।
For Private And Personal Use Only