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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [ मकारादि त्रिसप्त संख्यानि दिनानि गन्धं | वटस्यकोमलाः पादा एलायष्टिकतण्डुलाः।
'तत्सम्मितं गोघृतमध्यपक्वम ॥ रक्तशालिं च गोधूममाषका यवकास्तथा ॥ विभाव्य तेनैव विशोष्य युञ्ज्या- एतच्चूर्णीकृतं सर्व सिनशर्करया समम् । काचस्थयो गलतादलेन
विडालपदकं खादेत्सर्पिषा मधुना सह ॥ तयोविमर्याय निषेव्य दुग्धं
शीतं पयोऽनुपानश्च कामिनी कामयेन्नरः। पिबेनिशायां कदलीफलं तत् ॥
वीर्यहीनो भवेद्यस्तु जीर्णो व्याधिपपीडितः ।। मदनं मदयन्मदमुज्ज्वलय
प्रमेही मूत्रकृच्छी च स्त्रीदोषात्पतितध्वजः। अमदानिवहानतिविहलयन् ।
साशीतिवार्षिको वृद्धो युवेव रमतेऽङ्गानाः॥ सुरतैः सुखदैर्गतविच्यवनै- . भवसारजुषामयमेव सुहृत् ॥
पुत्रं जनयते वीरमरोग दीर्घजीविनम् । आवा माशा शुद्ध पारदको २१ दिन सेंभ- भेषजैर्विविधैः किं स्यादन्यैश्च शतसङ्ख्यकैः ॥ लकी छालके रसमें घोटें । इसी प्रकार गोघृतमें शुद्ध | फलं न किश्चित्तत्रास्ति केवलं गौरवं बहु । गन्धकको भी २१ दिन तक सेंभलके रसमें घोटें | बालसस्यं यथा तोर्यवर्द्धने च दिने दिने ॥ और जब घोटते घोटते दोनों सूख जाएं तो दोनेांको तथानेन नृणां देहः पुष्टो भवति नान्यथा । एकत्र घोटकर कजली बनालें और उसे कांचके योऽत्ति मण्डलमात्रन्तु सगच्छेत्प्रमदाशतम् ।। खरलमें डालकर (१ दिन) पानके रसमें घोटकर जगतस्तु हितार्थाय चूर्ण मदनदीपनम् ।। सुखा लें।
गोखरु, तालमखाना, नागरमोथा, कौंचके रात्रिके समय इसे केलेकी पक्की फलीके साथ | बीज, शतावर, मुलैठी, भीरकाकोली, तालमूली, खाकर ऊपरसे दूध पीनेसे कामशक्तिकी इतनी वृद्धि गिलोय, सुगन्धवाला, सेंभल की मूसली, लोहभस्म, होती है कि एक पुरुष अनेकों स्त्रियोंके साथ रमण अभ्रकभस्म, विदारीकन्द, तालमस्तक, हस्तिकर्ण कर सकता है।
( पलाश भेद ) की छाल, बीजवन्द ( खरैटी (५४९४) मदनसन्दीपनचूर्णम् के बीज ), आमला, जायफल, कसेरु,
(र. र.; धन्व. वाजीकरणा.) सिंघाड़ा, माषपर्णी, भंगरा, केसर, बच, शुद्ध गोक्षुरः क्षुरको मेघो मर्कटी शतपुत्रिका। शिलाजीत, शुद्ध गन्धक, शुद्ध पारद, सोनामक्खी मधुकं क्षीरकाकोली तालमूल्यमृताम्बु च ॥ भस्म, बड़की कोमल जटा, छोटी इलायची, मुलैठी, शाल्मली लौहगगने विदारोतालमस्तकम् । (बासमती के) चावल, साटी चावल, गेहूं, उड़द हस्तिको बला धात्री जातीफलकशेरुकम् ॥ और (छिलके रहित ) जौ। समान भाग लेकर शृङ्गाटको मासपी भृङ्गराः कुङ्कम वचा। यथा विधि चूर्ण बनावें और उसमें उसके बराबर . शिलाजनु शिवांधीजं पारदं धातुमाक्षिकम् ॥ । मिश्री मिला लें।
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