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[७४८]
चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
थकान।
संख्या प्रयोगनाम मुख्यगुण । संख्या प्रयोगनाम
मुख्य गुण २९८९ द्राक्षादिचूर्णम् दाह, पित्त, छर्दि,
वातपित्त ज्वर, रक्त मूर्छा, अरुचि, क्षय
पित्त, राजयक्ष्मा । तृष्णा, श्वास । ३२९३ धात्र्यादि घृतम् राजयक्ष्मा, रक्तपित्त ३४१७ नागबला योगः क्षय।
खांसी, अपस्मार । ४६१९ बलादि चूर्णम् क्षय, जीर्णज्वर, शि | ३४९० निर्गुण्डी ,
क्षतक्षय, शोष। रशूल, पित्तविकार,
४०६७ पध्याय , क्षतक्षय । रुधिर क्षय, श्वास, इन्द्रियोंकी क्षीणता,
४०७९ पाराशरं , उपद्रव युक्त राज मार्गचलने या अ
यक्ष्मा । धिक श्रमसे उत्पन्न ४०८० , राजयक्ष्मा, रक्तपित्त,
पाण्डु, अर्श। ४०८८ पिप्पल्याचं , क्षय, खांसी।
४१०१ पुनर्नवाचं , शोष । अवलेह-प्रकरणम्
४६६० बलाचं , उरःक्षत । खांसी, ३०१८ दशमूल हरीतकी बलि, पलित, खांसी,
हृद्रोग। क्षय, ज्वर, हिचकी, ४६६१ , "
राजयक्ष्मा, स्वरभंगा ग्रहणी, अरुचि।
| ४६६३ , , क्षय, खांसी, ज्वर, ३०३० द्राक्षाधवलेहः पित्तज खांसी, क्षय,
शिरशूल, पार्श्व
शूल । ३४६२ नवनीतावलेहः क्षयके रोगीको पुष्ट करता है।
आसवारिष्ट-प्रकरणम् घृत-प्रकरणम्
३१२२ दशमूलासवः धातुक्षय, खांसी, ३०५० दशमूलाचं घृतम् शिर, पसली और
श्वास, अरुचि,शूल, शरीरकी पीड़ा, खां
शोथ, वमन । सी, श्वास, ज्वर, ३१२८ द्राक्षारिष्टः
राजयक्ष्मा, खांसी, स्वरभेद, क्षय ।
श्वास, उरःक्षत । ३०६९ द्राक्षा , क्षीणता, श्वास, | ४१४८ पञ्चसायकः हर प्रकारका क्षया
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