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[ ७४६]
संख्या प्रयागनाम ४६९६ बृहती तैलम्
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४८८५ भल्लातक ४८८६ भल्लातक तैल-
रसायनम्
३१२० दशमूलारिष्टः
३१२९ द्राक्षासवः
३१३२ ३५२५ नारिकेलासवः
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आसवारिष्ट-प्रकरणम्
(महा)
३५३२ नागरादि लेपः ३५४६ निर्गुण्ड्यादिप्रयोगः ४९०६ भल्लातकादि लेप:
नपुंसकता ।
रसायन ।
मुख्य गुण
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लेप-प्रकरणम्
दुबले मनुष्यों को
पुष्ट करता तथा
वीर्य और तेज
चिकित्सा - पथ
की वृद्धि करता है।
अत्यन्त वाजीकरण |
अत्यन्त वीर्यवर्द्धक ।
कामशक्ति तथा सौ
न्दर्य वर्द्धक, बलि पलित नाशक
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नपुंसकता । शरीरकी झुर्रियां । लिङ्गको पुष्ट और वृहद् करता है ।
रस-प्रकरणम्
३२०६ दिव्यखेचरी गुटिका रसायन ।
३२०७ दिव्यखेचरी वटिका
३२०९ दिव्यामृत रस:
३३२७ धातुबद्ध रसः
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- प्रदर्शिनी
संख्या
प्रयोगनाम
३३२९ धात्री लोहम्
३३३३ धात्र्यादि प्रयोगः
३६३९ नागेश्वर विधिः
३६५२ नारीमत्तगजाङ्कुशरसः
४२६१ पश्चबाणो रसः
४२६६ पञ्चशरो रसः ४२६७ पञ्चसायकः ४२८७ पञ्चामृत रसः ४२८९
४२९५
४२९६
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४२९८
४३०३ पतङ्गयोगः
४३०४ पथ्यादि चूर्णम्
४३०६ पथ्यादि योग:
४३३३ पारद गुटिका
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४३८६ पारदादि योग:
मुख्य गुण
वाजीकरण |
रसायन ।
अत्यन्त वाजीकरण |
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लिङ्गवर्द्धक |
अत्यन्त वाजीकरण
समस्त रोग ।
रसायन ।
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सप्तधातु, बल, बुद्धि कान्ति रुचि और अग्नि वर्द्धक, तथा
कफरोग, बन्ध्यत्व
और नपुंसकता नाशक एवं रसायन ।
समस्त रोग ।
अत्युत्तम शुक्रस्तम्भ है। वृद्धावस्थाको नहीं
आने देता । वृद्धावस्था ।
कमर में बांधने से वीर्य स्तम्भन होता
है ।
वीर्यस्तम्भ |