SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [४४] भारत-भैषज्य-रत्माकरः। [दकारादि - - शशी दुरालभा मुस्तं विडङ्गं रक्तचन्दनम्॥ अदरक, मुलैठी, काकड़ासिंगी, धमासा, नागरमोंजीरकश्च सपन्याकं चूर्ण पलाद्धकं पृथक् । था, बायबिडंग, लालचन्दन, जीरा और धनिये का दासरसायम मोक्तं नराणां हितकाम्यया ॥ चूर्ण मिलाकर रक्खें । न पात्र परिहारोऽस्ति विहाराहारयन्त्रणे । यह “ दास रसायन" स्वस्थ और अस्वस्थ अपामानि सर्वाणि भक्ष्यभोज्यानि यानि च। दोनोंके लिए हितकारी, और सर्व रोग नाशक है। तानि प्रकृतिभेदज्ञो बुद्धिपूर्व प्रदापयेत् । सके सेवनकालमें किसी प्रकारके पण्डेजको सर्वव्यापिहरश्चतत् स्वस्थास्वस्थहितं सदा ॥ आवश्यकता नहीं है । प्रकृतिका विचार करके हर विधिपूर्वक शुद्ध पारा २ पल (१० तोले), प्रकास्का भोज्य, भक्ष्यादि आहार दिया जा लोह भस्म ४ पल, खांड २४ पल, शुद्ध मनसिल, सकता है। शुद्ध गन्धक, शुद्ध हरताल, शुद्ध कसीस, हांग, | (३०२५) दुरालभादिलेहः (१) कूठ, बच, खस, रसौत, खैरसार, और जायफल का चूर्ण १०-१० तोले तथा उपरोक्त लोहवाली (ग. नि. । कास.) विधिसे भस्म किया हुवा कृष्णाभ्रक १० तोले ले कर | दुरालभा शठी कृष्णा मधुकं सितशर्करा । प्रथम पारे गन्धककी कज्जली बनावें और फिर लीढं निहन्ति वातोत्थं कासं क्षौद्रेण योनिउसमें अन्य चीजोंका चूर्ण मिलाकर घोटें।। तम् ॥ तत्पश्चात् सांठ, मिर्च, पीपल, चीता, हडसं- धमासा, शठी (कचूर), पीपल, मुलैठी और हारी, जिमीकन्द, पुनर्नवा, गेहूं, विदारीकन्द, चावल, । सफेद खांड । सब चीजोंका पूर्ण समान भाग सहजनेकी छाल, तालमूली, मोरट लता, और शंख लेकर एकत्र मिलावें और उसे शहदमें मिलाकर पुष्पी ८-८ पल (४०-४० तोले) लेकर सबको रोगीको चटावें । यह अवलेह वातज खांसीको १ द्रोण ( ३२ सेर ) पानीमें पकावें जब ४ सेर नष्ट करता है। पानी शेष रहजाय तो उसे छानलें और फिर उसमें (३०२६) दुरालभादिलेहः (२) उपरोक्त चूर्ण, ३० पल (३०० तोले) त्रिफलेका (ग. नि. । कासा.) काथ, १ प्रस्थ (२ सेर ) घी और २ सेर अदरकका रस मिलाकर पकावें । जब गाढ़ा हो जाय दुरालभां शृङ्गवेरं शठी द्राक्षां सितोपलाम् । तो अग्निसे उतारकर ठण्डा करलें और फिर उसमें लिहयात् ककेटशृङ्गीच कासे तैलेन वातजे ॥ ३२ पल ( ४ सेर ) शहद, तथा २॥-२॥ तोले धमासा, सांठ, कचूर, मुनक्का, काकड़ासिंगी सांठ, मिर्च, पीपल, हरे, बहेड़ा, आमला, सेंधानमक, : और मिश्रीका चूर्ण बरावर बराबर लेकर तेल में विड नमक, सश्चल (काला) नमक, सुहागेकी खील, मिलाकर रोगीको चटावें । इससे बातज खांसी जवाखार, देवदारुका चूर्ण, अम्लकेतस, मुनका, बन | नष्ट होती है । For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy