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अवलेहमकरणम् ]
तृतीयो भागः।
[४७]
आधा सेर गेरु मिट्टी का चूर्ण मिलाकर मन्दाग्नि पर पानी शेष रह जाय तो उसे छानकर उसमें उपपकाकर गाढ़ा करें और उसमें २ सेर खांड मिला रोक्त लोह भस्म मिलाकर पुनः पकावें और जब दें। जब ठण्डा हो जाय तो थोड़ा सा शहद । गाढ़ा हो जाय तो उसमें २॥-२॥ तोले सांठ, मिलाकर चिकने बरतनमें भरकर रखदें। मिर्च, पीपल, हर्र, बहेड़ा, आमला, चीता, बाय
इसे अनेक प्रकारके दारुण मुख रोगोंमें, दांतों बिडंग, नागरमोथा, और ढाकके बीज (पलाशकी निर्बलता और उनके नष्ट होने में तथा दांतोंके पापड़ा ) का चूर्ण मिला दें। दुष्ट व्रणों ( पाइरिया ) में प्रयुक्त करना चाहिये। नागार्जुन कथित यह दासरसायन कफ___ इसी प्रकार मुलैठी, पुण्डरिया, बासा, चमेली, पित्तज ग्रहणीको नष्ट करता है। अरिमेद, त्रिफला मजीठ, लोध, जामन और खैरका (३०२४) दासरसायनलौहम् अवलेह बनाकर भी प्रयुक्त करना चाहिए।
(वै. से. । रसायना.) (३०२३) दासलोहरसायनम्
पारदं विधिना शुद्धं पलद्वितयसम्मितम् । (र. का. धे. । अधि. १४) चतुष्पलं लोहचूर्ण चतुर्विंशपलं सिता ॥ मूछितपुटितं शुद्धमयसः पलपञ्चकम् । मनोहागन्धपाषाणं हरितालश्च शुद्धकम् । शतावरीरसैः सम्यक्पुटितं पञ्चधा पुनः॥ कासीसं हिङ्गकुष्ठश्च वचोशीररसाधनम् ॥ अष्टौ पलानि गृणीयात् त्रिफलायाः पृथक् सारं खदिरवृक्षस्य जातीफलसमन्वितम् ।
पृथक । | द्विपलं सूक्ष्मचूर्णन्तु सर्वेषां परिकीर्तितम् ॥ सलिलात् दयामणे पक्त्वा चूर्णात्कर्षद्वयं गगनाद्विपलं कृष्णाल्लोहवत्पुटितात् क्षुतात् ।
पृथक् ॥ शास्त्रोक्तपृथगुद्दिष्टैः संयुज्य विधिनोचितम् ॥ त्रिकटु त्रिफला वनि विडॉ भद्रमुस्तकम्। त्रिंशश्च त्रैफले तोये प्रस्थेन सह सर्पिषा । पलाशस्य च बीजानि पक्त्वा कुर्याद्रसायनम्।। शृङ्गवेररसप्रस्थं निष्काध्यं वक्ष्यमाणकैः ॥ नागार्जुनेन कथितं दासाख्यं लोहमुत्तमम् । त्रिवर्णोदितं चित्रश्च चास्थिसंहारसूरणम् । पित्तश्लेष्माधिकचैव निहन्या ग्रहणीगदम् ॥ नामवर्षों सगोधूमभूमिकुष्माण्डतण्डुलाः ।। कफपित्तग्रहण्यान्तु कोहं दासरसायनम् ॥ सौभाअनं तालमूली मोरटे शपुष्पिका ।
२५ तोले शुद्ध लोह भरम को शतावरीके ! पृथगष्टपल पां वारिद्रोणे विपाचयेत् ।। रसमें घोटकर टिकिया बनाकर सुखावें और उन्हें अष्टभागावशिष्टेन कषायं कारयेत्सुधीः। शरावसम्पुटमें बन्द करके गज पुटमें फूंक दें, मधुनो द्वात्रिंशत्पलं क्षिपेत्तत्र मुशीतले ॥ इसी तरह शतावरीके रसकी ५ पुट दें। फिर हर, त्रिकदुत्रिफलासिन्धुविडं सौवर्चलं तथा । बहेड़ा और आमला ४०-४० तोले लेकर सबको टङ्कणो यावशूकरच सुरदारु परं पराः॥ २ द्रोण ( ६४ सेर ) पानी में पकावे जब ८ सेर | अम्लवेतसमृद्धीकामहामधुयष्टिका ।
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