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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [२८] भारत-भैषज्य-रत्नाकरः। [दकारादि - (२९५६) दाडिमाद्यं चूर्णम् (१) । मूल, काली मिर्च, तेजपात और बंसलोचन २॥(र. र. हिक्का.) २॥ तोले तथा मिश्री सबके बराबर लेकर यथादाडिमं नागरहिस पैन्धवपौष्कराः। विधि चूर्ण बनावें। रास्ना चात्र समं चूर्ण कर्ष घृतेन सम्पिवेद इसे भोजनसे पहिले खानेसे अग्निदीत होती कासवासहरं चूर्ण दाडिमाधं न संशयः॥ और गुल्म, बवासीर, ग्रहणी, अतिसार, प्रवाहिका ___ अनारदाना, सेांठ, हींग, राल, सेंधानमक, (पेचिश), पसलीका शूल, अफारा और प्रमेह पोखरमूल, और रास्ना । सब चीजें समान भाग | नष्ट होता है। लेकर चूर्ण बनावें। ( मात्रा-३ से ६ माशे । अनुपान जल या इसमें से प्रतिदिन १। तोला चूर्ण धीमें मि- बकरी का दूध ।) लाकर सेवन करनेसे खांसी और श्वास नष्ट होता (२९५८) दाडिमाष्टकचूर्णम् (१) (यो. चिं. । चूर्णा.) ( व्यवहारिक मात्रा २-३ माशे । ) दाडिमस्य पलान्यष्टौ शर्करायाः पलाष्टकम् । (२९५७) दाडिमाचं चूर्णम् (२) पिप्पली पिप्पलीमूलं यवानी मरिचं तथा ॥ (ग. नि. । परिशिष्ट चूर्णा.) धान्यकं जीरकं शुण्ठी प्रत्येकं पलसम्मितम् । दाडिमस्य पलान्यष्टौ शङ्गवेरपलत्रयम् । कर्षमात्रा तुगाक्षीरी त्वपत्रैलाश्च केसरम् ॥ पलद्वयं पिप्पली च कोलचूर्ण पलद्वयम् ॥ प्रत्येक कोलमात्राः स्युः सवर्ण दाडिमाष्टकम् । पवानी चाजमोदा च मिशिश्चैवाम्लवेतसम् । अतिसारक्षयं गुल्म ग्रहणी च गलग्रहम् ॥ वृक्षाम्लं चविका चात्र अभया च पलोन्मिता॥ मन्दाग्निं पीनसं कासं चूर्णमेतव्यपोहति ।। सौवर्चलं धान्यकं च सूक्ष्मैला त्वक् तथैव च । अनारदाना ८ पल, खांड ८ पल, पीपल, प्रन्थिकं मरिचं चात्र पत्रकं सतुगाड्यम् ॥ पीपलामूल, अजवायन, काली मिर्च, धनिया, जीरा एषामर्धपलान् भागान् सर्वैस्तुल्या सिता भवेत्। और सेठ प्रत्येक १-१ पल (५-५ तोले ) एतत्माक भोजनाच्चूर्णं दीपनं गुल्मनाशनम् ॥ बंसलोचन १। तोला तथा दालचीनी, तेजपात, अर्शीसि ग्राणीदोषमतीसारं प्रवाहिकाम् । इलायची, और नागकेसर प्रत्येक ७॥ माशे लेकर पाशूलमथानाहं प्रमेहांश्च प्रणाशयेत् ॥ यथाविधि चूर्ण बनावें। अनारदाना ४० तोले, सोंठ १५ तोले, यह — दाडिमाष्टक चूर्ण' अतिसार, क्षय, पीपल १० तोले, कंकोल १० तोले । अजवायन, । गुल्म, ग्रहणी, गलग्रह, मन्दाग्नि, पीनस और खांअजमोद, सौंफ, अमलबेत, वृक्षाम्ल ( इमली ), सीका नाश करता है। चव, और हर्र ५-५ तोले । सांचल ( काला- मात्रा-३ से ४ माशे तक । अनुपान उष्णनमक), धनिया, छोटी इलायची, दालचीनी, पीपला- जल । या शहदमें मिलाकर चटावें । ) For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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