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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra [ ३६२ ] www.kobatirth.org (४१०८) पञ्चमूला तैलम् (१) ( च. सं. । चि. वातव्या . ) भारत - भैषज्य रत्नाकरः । अथ पकारादितैलप्रकरणम् पञ्चमूलकषायेण पिण्याकं बहुवार्षिकम् । पक्त्वा तस्य रसं पूत्वा तेन तैलं विपाचयेत् ॥ पयसाष्टगुणेनैतत्सर्ववातविकारनुत् । संसृष्टे श्लेष्णा चैतद्वाते शस्तं विशेषतः || बेलछाल, श्योनाक ( अरल) की छाल, खम्भारीकी छाल, पाढलकी छाल और अरणी समानभाग-मिश्रित ४ सेर लेकर सबको कूटकर ३२ सेर पानीमें पकावें । जब ८ सेर पानी शेष रहे तो छान लें | तत्पश्चात् इसमें १ सेर तिलकी बहुत पुरानी खल डाल कर पुनः पकावें । जब वह अच्छी तरह मिल जाय तो छान लें । इस काथ में २ सेर तितका तेल और १६ सेर दूध मिलाकर पकावें । जब सेलमात्र शेष रह जाय तो छान ले 1 यह तैल समस्त वातरोगों को नष्ट करता है । विशेषतः कफान्वित वातमें अत्यन्त उपयोगी है। (४१०९) पञ्चमूला तैलम् (२) ( वृ. यो. त. । त. १०६; वं. से.; यो. र. । शोधा. ) पञ्चमूलं सलवर्ण सरलं देवदारु च । हस्तिकर्णपलाशस्य फलानि निचुलस्य च ।। पलांशं काकनासा च गुडूची देवपुष्पकम् । अहिंसा श्रेयसी हिंसा कृष्णगन्धा पुनर्नवा || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ पकारादि कायस्था च वयस्था च दारुको जटिला जटा । अलम्बुषो रुबूकं च प्रपुन्नाटं सनागरम् ॥ शिग्रुगोधाant भार्गी तर्कारी पौष्करीजटा । एतैः सिद्धं यथालाभं तैलमभ्यञ्जनैस्त्रिभिः ।। निहन्त्युदीर्ण श्वयथुं जन्तोर्वातकफात्मकम् ॥ काथ-बेलछाल, श्योनाक ( अरल) छाल, खम्भारीकी छाल, पाढलहाल, अरणी, सेंधानमक, सरल ( धूप सरल देवदारु, हस्तीकर्णपलाश के फल, समन्दरफल, काकनासा ( कौयाडोढी ), गिलोय, लौंग, काकादनी, गजपीपल, बालछड़, सहजनेकी छाल, पुनर्नवा (बिसखपरा), हर्र, आमला, देवदारु, पीपलामूल, मुण्डी, अरण्डकी जड़, पंवाड़, सोंठ, सहजनेकी छाल, हंसपादी, भरंगी, अरणी और पोखरमूल । सब चीजें समान-भाग- मिश्रित ४ सेर लेकर, कूटकर ३२ सेर पानी में पकावें । जब ८ सेर पानी शेष रहे तो छान लें 1 कल्क- उपरोक्त ओषधियां समान-भागमिश्रित १३ तोले ४ माशे । पानीके साथ पीसकर कल्क बनावें । विधि- - काथ, कल्क और २ सेर तेलको एकत्र मिलाकर पकावें । जब तैलमात्र शेष रह जाय तो छान लें। For Private And Personal Use Only इसकी मालिश करनेसे भयङ्कर वातकफज शोध भी ३ दिन में ही नष्ट हो जाता है ।
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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