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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [२६०] भारत-मैषज्य रत्नाकरः। [पकारादि - (३७१५) पटोलचतुष्क: मलनेसे छोटे छोटे दाने से हो जाते हैं वही पीपल (यो. स. । स. ३) के चावल कहलाते हैं ) सबको पीसकर मन्दोपटोलतिक्तापिचुमन्दपथ्या ष्ण पानीमें मिलाकर बालकको पिलाने से आमा__ शृतकषायः कफपित्तजातः । तिसार नष्ट होता है। ज्वरो विनश्येन्मधुनाटरूप (३७१८) पटोलमूलादियोगः शुण्ठीपटोलीत्रिफलाभिरेव ॥ (च. सं. । चि. अ. ५; ग. नि. । कु.) पटोल, कुटकी, नीमकी छाल और हर्र का | मूलं पटोलस्य तथा गवाक्ष्याः काथ या बासा ( अडूसा), सांठ, पटोल और | त्रिफलेका काथ शहद मिलाकर पीनेसे कफपित्तज पृथक् पलांशं त्रिफलात्वचश्च । ज्वर नष्ट होता है। स्यात् त्रायमाणा कटुरोहिणी च (३७१६) पटोलमूलादिकाय: भागाद्धिका नागरपादयुक्ता ॥ पलं त्वथैकं सहचूर्णितानां (र. र.; . मा. । मसू.; यो. त. । त. ६७) जले श्रृतं दोषहरं पिबेना। पटोलमूलारुणतण्डुलीयकं कुष्ठानि शोफ ग्रहणीमदोषं तथैव धात्रीखदिरेण संयुतम् । पिवेजलं मुकथितं मुशीतलं अशीसि कृच्छ्राणि हलीमकश्च ।। ममूरिकारोगविनाशनं परम् ॥ षडात्रयोगेन निहन्ति चैव हृद्वस्तिशूलं विषमज्वरश्च ॥ पटोल (परवल) की जड़ और लाल चौलाईकी जड़ एवं खैरसार और आमलेका काथ ठण्डा पटोलमूल, इन्द्रायणकी जड़, हर्र, बहेड़ा और करके पीनेसे मसूरिका रोग शान्त होता है। आमले की बकली ५-५ तोले, त्रायमाणा और | कुटकी २॥२॥ तोले तथा सेठ १ तोला लेकर (३७१७) पटोलमूलादिप्रयोगः सबको एकत्र मिलाकर अधकुटा कर लें । (वं. से. । बालरो.) पिष्टा पटोलमूलञ्च शृङ्गवेरं वचामपि । इसमेंसे ५ तोले चूर्णको ४० तोले पानीमें विडनान्यजमोदाश्च पिप्पलीतण्डुलान्यपि ॥ पकाकर १० तोले शेष रहने पर छानकर रोगीको एतान्यालोच्य सर्वाणि मुखतोन वारिणा। पिला दें। आमभवृत्तेऽतीसारे कुमारं योजयेद्भिषक् ॥ इसके सेवन से कुष्ठ, शोथ, ग्रहणी, अर्श, ___ पटोलकी जड़, सांठ, बच, बायबिडंग, अज- हलीमक, हृदय और वस्तिका शूल तथा ज्वर ६ मोद और पीपलके चावल। (पीपलको दूधमें भिगोकर । दिनमें ही नष्ट हो जाता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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