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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - [२०४] भारत-भैषज्य रत्नाकरः। [ नकारादि रसेन भृात्रिफलामवेन । पचेत्तैलावशेषन्तु नस्येनाभ्यञ्जनेन वा ।। आसमपाके च परीक्षणार्थ योज्यं हन्ति शिरस्तोदं पलितं च विनाशयेत् ॥ पक्ष बलाकाभवमाक्षिपेच्च ॥ नीलकमल, पीपल, मुलैठी, सफेद चन्दन, भवेद् यदा तद् भ्रमराङ्गनीलं और पुण्डरीक ( पुण्डरिया ) का कल्क ५-५ तोले, तदा विपकं विनिधाय पात्रे । तेल २ सेर और आमलेके फलेका रस ८ सेर कुष्णायसे मासमवस्थितं तद् लेकर सबको एकत्र मिलाकर पकावें । जब समस्त __ अभ्यङ्गयोगात् पलितानि हन्यात् ।। रस जल जाय तो तैलको छानले । ___ नीलके पत्ते, भंगरा, अर्जुनकी छाल, तगर __इसकी मालिश करने और नस्य लेनेसे शिर(अथवा काला मैनफल), लोहचूर्ण, बिजय- | पीड़ा तथा पलित रोग नष्ट होता है । सार, कटसरैयाके फूल, हरे, बहेड़ा और आमला समान भाग लेकर चूर्ण करके उसमें उसके बराबर (३५२२) नीलोत्पलाचं तेलम् कमलकी जड़के नीचेकी कीचड़ मिलाकर लोहेके (वं. से. । नेत्र.) फलसे में भरकर उसका मुख बन्द करके रख दें, नीलोत्पलं मधुकनागरपुण्डरीकऔर १५ दिन पश्चात् निकालकर उसके कल्क और भंगरे तथा त्रिफलाके काथके साथ तैल द्राक्षासुयष्टिमधुकांशुमतीकणांश्च । कण्टारिकामलकशावरचोग्रगन्धापकावें । जब पाक तैयार होने वाला हो तो उसमें कासीसशर्करबलावृषभाश्च रास्ना ॥ बगलेका पंख डालकर देखें, यदि काला हो जाय तो तैलको तैयार समझें और उसे लोहके मभिष्ठया सह समैरपि मूक्ष्मपिष्टै स्तैलं पचेत्तु पयसा च चतुर्गुणेन । पात्रमें भरकर उसका मुख बन्द करके रखदें । नस्यं नृणां तिमिरकाचनिशान्थ्ययुक्तान् एक मास पश्चात् छानकर काममें लावें । इसे बालों में लगानेसे सफेद बाल काले हो जाते हैं। ___पाकात्ययान्सपटलार्जुननीलिकांश्च ।। पिल्लाचुदामरुधिरसुतिवमैकण्डून् (कल्क १३ तो. ४ माशे, तैल २ सेर, स्पन्दं जयेद्विहितभोजनभङ्गुराणाम् । भंगरे और त्रिफलेका काथ ४-४ सेर । ) वाधिर्यमर्दितहनुग्रहदन्तचाल (३५२१) नीलोत्पलादितैलम् नासास्यपूयगलगण्डकृकाटिका न् ।। (वृ. नि. र. । शिरो.) कर्णाक्षिशूलदशनामयशीर्षरोगाजिनीलोत्पलकणायष्टिचन्दनं पुण्डरीककम् । हामयाञ्जयति कण्ठगतांश्च सर्वान् । प्रतिनिष्कचतुष्कं स्यात्तैलं स्यात्षोडशं पलम् ॥ अभ्यअनेन नियतं शिरसि प्रयत्नात् चतुःषष्टिपलं धात्रीफलानां रसमाहरेत् । सर्वानिहन्ति वदनालिशिरोविकारान् ।। For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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