________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तैलप्रकरणम् ]
तृतीयो भागः।
[२०५]
-
नीलकमल, महुवेके फूल, सेठ, पुण्डरीक । (३५२४) नृपवल्लभतलम् (सफेद कमल), दाख ( मुनक्का ), मुलैठी, शालपणी, (वं. से.: भै. र.; धन्वं.; च. द. । नेत्ररो.) पीपल, कटेली, आमला, लोध, बच, कसीस, खांड, खरैटी, बासा, रास्ना, और मजीठ; सब समान |
जीवकर्षभको मेदे द्राक्षांशुमतीनिदग्धिकाढहती। भाग मिश्रित २० तोले लेकर पानीके साथ महीन मधुकं बला विडो मअिष्ठा शर्करा रास्ना ॥ पीसकर कल्क बनावें । फिर २ सेर तिलका तैल, नीलोत्पलं श्वदंष्ट्रा प्रपोण्डरीकं पुनर्नवा लवणम् ८ सेर दूध और यह कल्क एकत्र मिलाकर पकावें। पिप्पल्यः सर्वेषां भागैरक्षांशिकः पिष्टैः॥ जब समस्त दूध जल जाय तो तैलको छानलें। तैलं वा यदि सर्दित्त्वा क्षीरं चतुर्गुणं पकम् ।
आत्रेय निर्मितमिदं तैलं नृपबल्लभनाना ॥ इसकी नस्य लेने और शिरपर मालिश करने
तिमिरं पटलं काचं नक्तान्थ्यमबुंदं तथान्ध्या । से तिमिर, काच, नक्तान्ध्यता, (रतौंधा) पाकात्यय, श्वेतश्च लिङ्गनाशं नाशयति नीलिकाम्याम् ॥ पटल, अर्जुन, नीलिका, पिल्ल, अर्बुद, अर्म, रुधिर
मुखनासादोर्गन्ध्य पलितशाकालजं हनुस्तम्भम् । खाव, पलकांकी स्वाज, आंख फरकना, बधिरता,
श्वासं कासश हिकां शोषं स्तम्भ तथान्यांश्च । अर्दित (लकवा), हनुग्रह, दांतोंका हिलना, नाक
मुखजैहम्पमर्द्धभेदं रोगं बाहुग्रहं शिरःस्तम्भम् । या मुखसे पीपजाना, गलगण्ड, गर्दनके पिछले भाग
रोगानयोर्ध्वजत्रोः सर्वानचिरेण नाशयति । (गुदी) की पीड़ा, कर्णशूल, नेत्रशूल, दन्तरोग, शिरोरोग, जिहारोग और कण्ठरोगों, का नाश होता है।
जीवका, ऋषभका, मेदार, महामेदार, दाख (३५२३) नील्यादितैलम्
(मुनक्का ), शालपर्णी, कटेली, बड़ीकटेली (कटेला),
मुलैठी, खरैटी, बायबिडंग, मजीठ, खांड, रास्ना, (वै. म. र. । पट. ११) नीलकमल, गोखरु, प्रपौण्डरीक (पुण्डरिया), पुननीलीभूमिकदम्मानां मूले सिदं तिलोद्रम् ।
नवा, सेंधानमक, और पीपल । सब १०-११ तोला कक्षाविद्रधिवीसर्पहरं स्पाल्लेपनेन तत् ॥
लेकर पानीके साथ पीस लें । तत्पश्चात् २ सेर
तैल या घी और ८ सेर दूध तथा यह कल्क नील और भूमिकदम्बकी जड़ के कल्कसे
एकत्र मिलाकर पकावें । दूध जल जाने पर स्नेह सिद्ध तैल लगानेसे कक्षा, विद्रधि, और विसर्प नष्ट (घृत या तैल ) को छान लें। होता है।
यह तैल तिमिर, पटल, काच, नक्तान्थ्य ( हरेक वस्तु ५ तोले, तिलका तैल १ सेर,
भाषमें शतावर। पानी १ सेर । मिलाकर पका)
२भभाषमें विदारीकन्द ।
कल्कद्रव्य
For Private And Personal Use Only