________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
लेपप्रकरणम् ]
तृतीयो भागः।
[९१]
___ नोट-आसव किसी इतने बड़े बरतन में रहे । यदि इतना बड़ा मिट्टीका बरतन न मिल बनाना चाहिये कि जिसमें सब चीजें डालने के | सके तो लकड़ी की कोठीमें बनाया जा सकता है। बाद उसका कमसे कम १ चौथाई भाग खाली
इति दकाराधासवारिष्टप्रकरणम् ।
अथ दकारादिलेपप्रकरणम्
कान्ति
(३१३३) दग्धयवादिलेपः
बेरीके पत्तोंको दहीमें पीसकर या कपूर, स(भै. र. । सधोबणा.)
| फेद चन्दन, और नीमके पत्तोंको तकमें पीसकर तिलतैलैर्यवान् दग्या समं कृत्वा तु लेपयेत । (शिरपर) लेप करनेसे सन्निपात ज्वरकी दाह तेनैव लेपनादाशु वहिदग्धः सुखी भवेत् ॥ ___ जौकी राखको तिलके तेलमें घोटकर लेप (३१३६) दन्तीमूलादिलेपः करनेसे अग्निदग्धव्रण शीघही नष्ट हो जाता है। । (वृ. नि. र.; यो. र । व्रणशोथ; वा. भ. । चि. (३१३४) दधित्थादिशिरोलेपः अ. १८; वृ. नि. र. । कर्णके; वं. से. । प्रन्थि.) (ग. नि. । ज्वरा.; वं. से. यो. र.; भा. प्र.।तृष्णा.) दन्तीचित्रकमूलत्वक्स्नु ह्यर्कपयसी गुडः। दधित्थं दाडिमं रोधं विदारी बीजपूरकम् । भल्लातकास्थिकाशीससैन्धवैरणः स्मृतः ॥ शिरःपदेहः श्रेष्ठोऽयं तृष्णादाहनिवारणः॥
दन्तीमूल, चीतेकी जड़की छाल, सेंड (सेहुंड) कैथकी छाल, अनारकी छाल, लोध, बिदारी
का दूध, आकका दूध, गुड़, भिलावेकी गिरी, कन्द और बिजौरा नीबू समान भाग लेकर पानीके
कसीस, और सेंधा नमक । सब चीजें समान साथ पीसकर शिरपर लेप करने से तृष्णा और
भाग लेकर पानीके साथ पीसकर लेप करनेसे दाह नष्ट होती है।
ग्रन्थि फट जाती है। नोट-बंगसेनादिमें विदारीकी जगह बदरी (३१३७) दन्त्यादिलेपः(१) (बेरीके पत्ते ) लिखा है।
(वं. से. । विद्र.) (३१३५) दध्यादिलेपः
दन्तीचित्रकगोदन्तचिरबिल्वाश्वमारकान् । (वृ. नि. र. । सन्नि.)
आन्तरे वितरेद्विद्वान् पके शोथविधौ ॥ शमयति दाहमचिराधियुक्वर्कन्धुपल्लवैर्लेपः। दन्तीमूल, चीता, गायका दांत, करा बीज लेपो हिमकरमलयजनिम्बदलैस्तक्रपिष्टैर्वा ॥ | और कनेरकी जड़की छाल समान भाग लेकर
For Private And Personal Use Only