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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत-मैपल्य-रत्नाकरः [ एकारादि अथ एकारादिधूम्रप्रकरणम् (९१७०) एरण्डादिधूमः ___ अरण्ड मूल, धतूरेकी जड़, सोंट, कालीमिर्च, पीपल और मनसिल समान भाग लेकर बारीक चूर्ण ( यो. र. । कासा.) बनावें और उसे (धीमें मिलाकर) कपड़े पर लगापिष्ट्वा त्रिपुटधत्तूरमूलव्योषमनःशिलाः। कर बर्ति बना लें । तेन प्रलिप्य वसनं धूमवति प्रकल्पयेत् ॥ इसे आगसे जलाकर धूम्र पान करने से ३ धूमं तस्याः पिवेद्यस्तु त्रिदिनात्कसनं हरेत् ।। । दिनमें कास नष्ट हो जाती है । इति पकारादिधूम्रप्रकरणम् अथ एकाराद्यञ्जनप्रकरणम् (९१७१) एलादिवतिः इलायचीके बीज, लहसन, निर्मलीके बीज, ( वा. भ. । उ. अ. ९) | शंखचूर्ण, काली मिर्च, तुलसी और कायफल; इनका चूर्ण समान भाग लेकर सुरामें पीस कर बर्तियां बनावें। एलारसोनकतकशझोषणफणिज्जकैः। । इसे आंखमें लगानेसे पोथकी और कुकूणक वत्तिः कुकूणपोधक्योः सुरापिष्टैः सकटफलेः॥ रोग नष्ट होता है। इति एकारापञ्जनप्रकरणम् अथ एकारादिनस्यप्रकरणम् (९१७२) एरण्डादिनस्यम् ___ सफेद अरण्डकी जड़, कटेलीके फल, देवदारु, ( वा. भ. ! उ. अ. १३) बच, तगर, बायबिडंग और बेलकी जड़; इनके सितैरण्डजटासिंहीफळदारुबचानतैः । कल्क और दूधके साथ तेल पकावें । घोषया बिल्वमूलैश्च तैलं पक्वं पयोऽन्वितम् ॥ इसकी नस्य लेनेसे ऊर्च जत्रुगत वातकफज नस्य सर्वोर्ध्वजत्रूत्थबातश्लेष्मामयातिजित् ॥ । रोग नष्ट होते हैं । इति एकारादिनस्यप्रकरणम् For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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