________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ उकारादि
अथ उकारायवलहप्रकरणम् (९११३) उच्चटाद्यमोदकः । मात्रा में, ठीक समय पर पध्य ) आहार करने ( व. से. । राजयस्मा.)
| एवं ब्रह्मचर्य से रहनेसे ११ लक्षणों वाले ( पूर्ण
| लक्षण युक्त) राजयक्ष्मा, हृदयरोग, प्लीहावृद्धि, उच्चटेक्षुरसः क्षौद्रं तुगाक्षीर्याश्च बुद्धिमान् । ग्रहणी रोग, मूत्रकृच्छू और अपतन्त्रकका नाश पस्थं प्रस्थं पृथग्गृह्य शर्करातुलान्तथा ॥ होता है । यह मोदक स्वर, वर्ण, बल, तुष्टि, पुष्टि,
आत्मगुप्ताफलानाश्च कुडवं मरिचस्य च । आयु और अग्निकी वृद्धि करता है तथा भूतोन्माद, त्रिसुगन्धिकृतावापं मन्थानेन विमन्थयेत् ॥ | शरीरकी विकलता, वृद्धावस्था और वीर्यकी कमी पलिकान्मोदकान्कृत्वा स्थापयेद्भाजने वरे। में उपयोगी है । यह वाजीकरण भी है तथा इसके एतद्विकालमेकं वा खादेदग्निबलं प्रति ॥ सेवनसे वन्ध्या स्त्रीको पुत्र प्राप्ति होती है । धनुष वटकान्नियताहारो ब्रह्मचारी जितेन्द्रियः । चलाने, स्त्री समागम करने, मद्य पीने, भार उठाने स हन्याद्यक्ष्मिणः सद्य एकादशविध क्षयम् ॥ और मार्ग चलनेसे उत्पन्न हुई दुर्बलता इसके स्वरवर्णवलौदार्यतुष्टिपुष्टिविवर्धनम् । सेवनसे नष्ट हो जाती है । आयुष्यं पौष्टिकं चाग्न्यं भूतोपहतचेतसाम् ॥
(९११४) उच्चटापाकः व्याकुलीकृतदेहानां वृद्धानां क्षीणरेतसाम् ।
(वै. जी. । वि. ५) वाजीकरणमप्येवं वन्ध्यानां पुत्रदं परम् ।।
उच्चटामर्कटीगोक्षुरैश्चूर्णितः धनुः स्त्रीमद्यभाराध्वखिन्नानां बलवर्धनम् ।
शर्करादुग्धसम्मिश्रितैः पाचितैः । हृत्प्लीहग्रहणीदोषमूत्रकृच्छापतन्त्रकम् ॥
सेवितर्वार्धके मानवो मानिनीअपस्मारविषोन्मादनाशनं तद्रसायनम् ।।
मानमुच्छेदयेकि पुनयौवने ॥ ___ भुई आमले का रस, ईखका रस, शहद और |
उटिंगनके बीज, कौंचके बीज और गोखरु; बंसलोचन का चूर्ण १-१ सेर; खांड ३ सेर १०
इनका समान भाग चूर्ण एकत्र मिलाकर गायके तोले, कौंचके बीजोंका चूर्ण २० तोले, काली
दूघमें पकावें और कुछ गाढा हो जाने पर उसमें मिर्चका चूर्ण २० तोले तथा त्रिसुगन्धि (दाल
स्वादयोग्य मिश्री मिला दें तथा थोड़ी देर और चीनी, इलायची, तेजपात ) का चूर्ण २० तोले
पकाकर हलया सा बना लें। लेकर सबको एकत्र मिलाकर मथनी से मथें और
इसे सेवन करने से वृद्ध पुरुष भी मानगर्विता फिर ५-५ तोलेके मोदक बना लें।
। रमणियोंका मान मर्दन कर सकता है, फिर यदि इनमेंसे १-१ मोदक प्रति दिन प्रातः सायं ! इसे युवावस्थामें सेवन किया जाय तब तो कहना या केवल १ समय खाने और नियत ( उचित । ही क्या है।
For Private And Personal Use Only