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मिश्रप्रकरणम् ]
परिशिष्ट
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धानकी खीलोंको पानीमें भिगो दें और उनके । काञिकापटेनावगुण्ठनं दाहनाशनम् । फूल जाने पर पानीको छान लें। इस पानीमें इमलीके अथ गोतक्रसंस्विन्नशीतलीकृतवाससा ॥ कच्चे फलोंको भिगो दें और थोड़ी देर बाद उस पानीमें अदरकके टुकड़े भिगो दें। एक पहर
कांजीमें चादर भिगोकर रोगीके शरीर पर पश्चात् यह अदरक अन्यन्त लाल और सुस्वाद लपेटनेसे दाह शान्त हो जाती है। हो जायगा ।
अथवा कपड़ेको गायके मढेमें डालकर थोड़ी (९०६८) आर्द्रवस्त्रधारणम् देर पकाकर ठंडा करके रोगीके शरीर पर लपेटनेसे ( भा. प्र. । म. खं. २ ) भी दाह शान्त हो जाती है।
इत्याकारादिमिश्रप्रकरणम्
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