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(२६४)
भारत-भैषज्य रत्नाकर
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[८७०] कुहमाचे तैलम् (१) ।[८७१] कुमादि तैलम् (२) (यो. र. । क्षु. रो.)
___ (च. द; भै. र.। क्षुद्र.) कुंकुमं चन्दनं लोधं पतङ्ग रक्तचन्दनम् ।
कुडुमं चन्दनं लाक्षा मञ्जिष्ठा मधुयष्टिका । कालीयकमुशीरं च मजिष्ठा मधुयष्टिका ॥
कालीयकमुशीरं च पद्मकं नीलमुत्पलम् ।। पत्रकं पदकं पमं कुष्ठं गोरोचनं निशा ।
न्यग्रोधपादाः प्लक्षस्य शुङ्गाः पाकेशरम् ।
द्विपश्चमूलसहितैः कषायैः पलिकैः पृथक् ॥ लाक्षा दारुहरिद्रा च गैरिक नागकेशरम् ।।
जलादिकं विपक्तव्यं पादशेषमथोद्धरेत् । पालाशकुसुमं चापि प्रियंगुश्च वटाकुराः ।
मंजिष्ठा मधूकं लाक्षा पतङ्ग मधुयष्टिका ॥ मालती च मधुच्छिष्टं सर्षपाः सुरभिर्वचा ॥
कर्षप्रमाणैरेतैस्तु तैलस्य कुडवं तथा । चतुर्गुणपयापिष्टरेतैरक्षमितैः पृथक् ।
अजाक्षीरं तद्विगुणं शनैर्मृग्निना पचेत् ॥ पचेन्मन्दाविना वैद्यस्तैलं प्रस्थद्वयोन्मितम् ॥ | सम्यक्पक्कं परं ह्ये तन्मुखवर्णप्रसादनम् ॥ वदनाभ्यञ्जनादेतद् व्यङ्गं नीलिकया सह । नीलिकापिडकाव्यङ्गानभ्यङ्गादेव नाशयेत् ॥ तिलक माषकं न्यच्छ नाशयेन्मुखदूषिकाम् ॥ सप्तरात्रप्रयोगेण भवेत्काञ्चनसनिभम् । पधिनीकण्टकं वापि हरेज्जतुमणि तथा। कुङ्कुमाद्यमिदं तैलमश्विभ्यां निर्मितं पुरा॥ विदध्याद्वदनं पूर्णचन्द्रमण्डलसुन्दरम् ॥ केसर, चन्दन, लाख, मजीठ, मुल्हैठी,काली__ केसर, चन्दन, लोध, पतंग, लाल चन्दन, | यक (अगर) खस, पनाक, नीलोफर, बड़की दाढ़ी, अगर, खस, मजीठ, मुल्हैठी, तेजपात, पभाक, | पिलखनकी कोंपल, कमलकेसर और दशमूल प्रत्येक कमल, कूठ, गोरोचन, हल्दी, लाख, दारुहल्दी, चीज़ १०-१० तोला लेकर ८सेर पानीमें पकावें जब गेल, मागकेसर, ढाकके फूल, फूलप्रियंगु, बड़की चौथा भाग शेष रहे तो उतारकर छान लें। इस कोपल, चमेलीके फूल, मोम, सरसों, तुलसी और । क्वाथ और १ सेर बकरीके दूध तथा नीचे लिखे बध । प्रत्येक ११-१। तोला । इनको ४ गुने दूध
| कल्कके साथ मन्दाग्निपर ०॥ सेर तेल पकावें। के साथ पीसकर उससे मन्दाग्नि पर ४ सेर तेल कल्क द्रव्य–मजीठ, महुवा, लाख, पतंग पकावें।
और मुल्हैठी प्रत्येक ११-११ तोला। में मामला नीलिक इसे लगानेसे चेहरेकी नीलिका, फुसियां और तिल. माष (मस्सा). महासे. पगिनि कंटक और झांई आदि नष्ट होकर चेहरा खूबसूरत हो जाता है। जतुर्मणि आदिका नाश होकर मुख चन्द्रमाके समान इसे सात दिन तक लगानेसे मुख कांचनके उज्ज्वल हो जाता है।
समान दीप्तिमान हो जाता है। __x किन्ही किन्ही का मत है कि इसमें
[८७२] कुड़माचं तैलम् (३) तेलसे ४ गुना दूध और उतना ही पानी
(च. द; भै. र. । क्षु०रो.) डालना चाहिए।
हामं किंशुकं लाक्षा मनिष्ठा रक्तचन्दनम् ।
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