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ककारादि-चूर्ण
(२१९)
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छानकर रख छोड़े। इसकी मात्रा १ तोले की है,[2] | कृष्णाग्निविश्वधनजीरककण्टकारीशौच क्रिया के बाद गरम जल के साथ सेवन | पाठानिशाकरिकणामगधाजटानाम् । करने से ४-५ दिन में ही उदर के सर्व कीड़े। चूर्णकवोष्णसलिलरवलोड्यपीतं नष्ट हो जाते हैं।
नातः परं वयथुरोगहरं नराणाम् ॥ [७२२] कृष्णादिचर्वणम्
पीपल, चीता, सोंठ, नागरमोथा, जीरा, (वृ. नि. र. । मुख; भा. प्र. म. खं. २; यो. र.) कटेली, पाठा, हल्दी, गजपीपल और पीपलामूल । कृष्णजीरककुष्ठेन्द्रयवचर्वणतस्वयहात् । इनके चर्णको कुछ गर्म पानीमें मिलाकर पीनेसे मुखपाकव्रणक्लेदं दौगंध्यमुपशाम्यति ॥ शोथका अत्यन्त शीघ्र नाश होता है । ___पीपल, जीरा, कूठ और इन्द्रयवको ३ दिन | [७२६] कृष्णादिचूर्णम् (४) तक चबानेसे मुखपाक, ब्रण, क्लेद [रतूबत] और (वृ. नि. र; वं. से. बा. रों.) मुखकी दुर्गधि नष्ट होती है।
कृष्णा दुरालभा द्राक्षा कर्कटाख्या गजाहया। [७२३] कृष्णाचूर्णम् (१) चूर्णिता मधुसर्पियो लीढा हंति शिशोर्गदान् । (वृ. नि..र. हिक्का. सु. सं. उ. तं. अ. ५०) ! कासं श्वासं च तमकं ज्वरं वापि विनक्ष्यति ॥ कृष्णामलकशुंठीनां चूर्ण मधुसितायुतम् ॥ पीपल, धमासा, दाख, काकडा सींगी और मुहुर्मुहुः प्रयोक्तव्यं हिकाश्चासनिवारणम् ॥ | गजपीपल इनके चूर्णको शहद और घी में मिला
पीपल, आमला और सोंठके चूर्णको शहद कर चाटनेसे बालकोंके तमक श्वास, खांसी और और मिश्री में मिलाकर बार बार चाटनेसे हिचकी | ज्वरका नाश होता है। और श्वासका नाश होता है। | [७२७] कृष्णादिचूर्णम् (५) [७२४] कृष्णादिचूर्णम् (२)
(वृ. नि. र. बा. रो.) (शा. ध. म. खं. अ. ६) कृष्णा महौषधं विल्वं नागरा सयवानिकः । कृष्णारुणामुस्तकङ्गिकाणां मधुसर्पियुतं लीढं बालानां ग्रहणी हरेत् ॥
तुल्येण चर्णेन समाक्षिकेण । पीपल, सोंठ, बेलगिरी, नागरमोथा और अजज्वरातिमारः प्रशमं प्रयाति वायन । इनके चूर्णको शहद और घी में मिलाकर
सश्वासकासः सवमिः शिशूनाम् ॥ | चटानेसे बालकोंकी संग्रहणीको आराम होता है। पीपल, अतीस, नागरमोथा और काकडासींगी | [७२८] केतकीक्षारयोगः (यो. र. गुल्मे.) समान भाग लेकर चूर्ण करें। इसे शहदके साथ | स्वर्जिकाकुष्ठसहितः क्षारः केतकीसंभवः । चटानेसे बच्चोंके ज्वरातिसार, श्वास, खांसी और | पीतस्तैलेन शमयेद्वातगुल्मं सुदारुणम् ॥ मन का नाश होता है।
सजीखार, कूट और केतकीका खार । इनके [७२५] कृष्णादिचूर्णम् (३) | चूर्णको (एरण्ड) तेलके साथ पीनेसे भयानक वात
(वृ. नि. र. शोथे.) गुल्म (वायगोले)का नाश होता है।
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