________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ककारादि-चूर्ण
(२१५)
3
मूत्रकृच्छ (पेशाव तकलीफ से आना, पेशाब बन्द । को शहद में मिलाकर योनि में रखनेसे पिच्छिला होना) और मूत्र विकारादि नष्ट होते तथा वीर्य | योनि शुद्ध होती है। वृद्धि होती है। यह अत्यन्त वाजीकर और | [७०६] कासीसादिचूर्णम् (२) बलवर्धक है।
(वृ. नि. र. मुख.) [७०३] कारव्यादिचर्णम्
कासीसलोध्रकृष्णा मनःशिला सप्रियंगु तेजोहा। ' (ग. नि. अरोचका. च. चि. अ. २६) एषां चूर्ण मधुयुक् शीतादे पूतिमांसहरम् । कारवी मरिचाजाजी द्राक्षा वृक्षाम्लदाडिमम् । तैलं घृतं वा वातघ्नं शीतादे संप्रशस्यते ।। सौवचलं गुडं क्षौद्रं सर्वारोचकनाशनम् ॥ | कसीस, लोध्र, पीपल, मनसिल, फूलप्रियंगु ____ काली जीरी, काली मिर्च, जीरा, दाख, | और बच इनके चूर्ण को शहदमें मिलाकर मसूढ़ों तितडीक, अनारदाना, सौंचल [काला नमक) पर लेप करने से शीताद नामक दन्त रोग से सड़ा गुड और शहद । सब चीजें समान भाग लेकर हुआ मांस दूर होता है । शीतादx में वायु नाशक चर्ण करके एकत्र मिलाकर सेवन करने से सब | तैल अथवा धृत इस्तेमाल करना चाहिये। प्रकार की अरुचि नष्ट होती है।
[७०७] किराततिक्ताद्यंचूर्णम् [७०४] कालकचूर्णम्
(च. सं. चि. अ. १९) (च. सं. चि. अ. २६) किराततिक्तं षड्ग्रन्था त्रायमाणा कटुत्रिकम् । गृहधूमो यवक्षारः पाठाव्योषरसाञ्जनम्। चन्दनं पनकोशीरं दात्विकटुरोहिणी॥ तेजोबा त्रिफला लोधं +चित्रकं चेति चूर्णिताम्।। कुटजत्वक् फलं मुस्तं यवानी देवदारु च । सक्षौद्रं धारयेदेतद् गलरोगविनाशनम् । पटोलनिम्बपत्रैलासौराष्ट्रातिविषात्वचः ॥ कालकन्नाम तच्चूर्ण दन्तास्यगलरोगनुत् ।। | मधुशियोश्च बीजानि मूर्वापर्यटकांस्तथा । __घर का धुआं, जवाखार, पाठा, त्रिकुटा, तच्चूर्ण मधुना लेह्य पेयं मद्यैर्जलेन वा ।। रसौत, वच, त्रिफला, लोध्र और चीता। सब चीजें | हृत्पाण्डुग्रहणीरोगगुल्मशूलारुचिज्वरान् । समान भाग लेकर चूर्ण करें।
कामलां सन्निपातं च मुखरोगांश्च नाशयेत् ।। ___ इसे शहद में मिलाकर मुह में रखने से गले
| चिरायता, बच, त्रायमाणा बनशा] त्रिकुटा, और दांतों के रोग नष्ट होते हैं।
चन्दन, पद्माक, खस, दारु हल्दी की छाल, कुटकी, [७०५] कासीसादिचूर्णम् (१) कुड़ेकी की छाल, इन्द्रजौ, नागरमोथा, अजवायन,
(च. सं. चि. अ. ३०) देवदारु, पटोल पत्र, नीम के पत्ते, इलायची, कासीसं त्रिफलाकाक्षी साम्रजम्ब्वास्थिधातकी। सौराष्ट्री मृत्तिका, अतीस, दालचीनी, मुल्हठी, सौजने पैच्छिल्ये क्षौद्रसंयुक्तश्चू! वैशयकारकः ॥ शीताद-मस्ता का रोग विशेष, जिसमें
कसीस, त्रिफला, गोपी चन्दन, आम और / यकायक कभी २ मसूदी से खून जाने लगता जामन की गुठली तथा धाय के फूल । इनके चूर्ण है मसूढे दुर्गन्धित, काले, चिपचिपे और
मुलायम हो जाते हैं। एवं मसूड़ों का मांस + लौहमिति पाठान्तरम् ।
सडकर गिरने लगता है।
For Private And Personal Use Only