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उकारादि-कवाय
(१६५)
[४७८] उदीच्यादिः (यो. र.,छर्दि.) अश्वत्थपाठासनवेतसाना सोदीच्यं गैरिकं देयं सेव्यं वा तण्डुलाम्बुना। कटकटेप्युत्पलमुस्तकानाम् । धात्री रसेन वा पीता सिता लाजाश्च हन्ति ताम् पैत्तेषु मेहेषु दशैव इष्टाः __सुगन्धबाला और गेरू को चावलों के पानी पादैःकषाया मधुसम्प्रयुक्ताः ।। में पीसकर अथवा आमले के रस के साथ धान (१) खस, लोध, रसौत और चन्दन । (२) की खील और मिश्री सेवन करने से वमन का नाश खस, नागरमोथा, आमला और हैड़। (३) पटोल होता है।
पत्र, नीमकी छाल, आमला और गिलोय । (४) [४७९] उदुम्बरादियोगः नागरमोथा, हैड, पनाक और कुड़ा । (५) लोध, (बृ. नि. र., ग. नि., रक्तपि.)
सुगन्ध बाला, कालीयक और धाय । (६) नीम, उदुम्बराणि पक्कानि गुडेन मधुनोऽपि वा।
अर्जुन, आम, तिनिश और नीलोफर । (७) सिरस, उपमुक्तानि निम्नन्ति नासारक्तं नृणां ध्रुवम् ॥
राल, अर्जुन और नागकेशर । (८) फूलप्रियंगु, ___ पक्के गूलर, गुड़ या शहद के साथ सेवन
कमल, नीलोफर और ढाकके फूल । (९) पीपल करनेसे नकसीर का नाश होता है।
(अश्वत्थ वृक्ष) पाठा, असना (पीतसाल) और
बेत । (१०) दारुहल्दी, नीलोफर और नागर मोथा। [४८०] उदुम्बरादिहिमः
इन दश कषायों में शहद मिलाकर पीनेसे पित्तज (वृ. नि. र., ज्वरे)
प्रमेह का नाश होता है। उदुम्बरशिफाछिनातजलं सितयान्वितम्। पात पित्तज्वर हान्त पटाल्या वा शिफाजलम्।। (मै. र., ग. नि., ज्वरा.)
गूलर की जड़ और गिलोय के कषायम उशीरं पालकं मुस्तं धान्यकं विश्वमेषजम् । अथवा पटोल की जडके क्वाथमें मिश्री मिलाकर
| समझा धातकीलोधं बिल्वं दीपनपाचनम् ॥ सेवन करने से पित्तज्वर का नाश होता है।
| हन्त्यरोचकपिच्छामविवद्धं सातिवेदनम् । [४८१] उशीरादि कषायः (१) सशोणितमतीसारं सज्वरं वाथ विज्वरम् ।। (च. सं. चि. अ. ६)
खस, सुगन्धबाला, नागरमोथा, धनिया, सोंठ, उशीरलोधाञ्जनचन्दनाना
धायके फूल, लोध और बेल । यह कषाय दीपन, मुशीरमुस्तामलकाभयानाम् । पाचन है और अरुचि, आम, विबन्ध और वेदना पटोलनिम्बामलकामृतानां
युक्त, ज्वर रहित अथवा ज्वर सहित एवं रक्तातिमुस्ताभयापमकक्षकाणाम् ॥ सारका नाश करता है। रोधाम्बुकालीयकधातकीना- [४८३] उशीराविक्याथः (३) निम्बार्जुनाम्रान्तिनिशोत्पलानां ।
(वृ. नि. र., वि. ज्व.) शिरीषसर्जार्जुनकेशराणां उशीर चन्दनं पाठा द्राक्षा मधुकपिप्पली।
प्रियंगुपयोत्पलकिंशुकानाम् ॥ सक्षौद्रं पाययेत् काथं रक्तपितहरं ध्रुवम् ॥
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