SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१६६) भारत-मैपण्य-रत्नाकर खस, चन्दन (लाल) पाठा, दास, मुल्हैठी | मोथा, शालपर्णी, दोनों कटेली ( कटेली, कटेला) और पीपल । इनके क्वाथमें शहद डालकर पीनेसे गिलोय और गोखरू । इनका क्वाथ वात ज्वर रक्तपित्तका अवश्य नाश होता है। का नाश करता है। [४८४] उशीरादी कषायः (४) ४८६] उशीरादि काथः (६) ___(वृ. नि. र., वि. च.) (वृ. नि. र., स्त्री. रो.) उशीरं चन्दनं मुस्तं गुडची धान्यनागरम् । | उशीरगोक्षुरघनः समंगानागकेशरम् । अंभसा कथित पेयं शर्करा मधुयोजितम् । | सपनकं समधुरं पाययेच विचक्षणः ॥ ज्वरे तृतीयके पुंसां तृष्णादाहसमन्विते ॥ खस, गोखरू, नागरमोथा, मजीठ. नागखस, लाल चन्दन, नागरमोथा, गिलोय, ही लाय, | केसर, पद्माक और सौंफ का कषाय * सेवन धनया और सोठ, इन के क्वाथ म खाड आर | करने से गर्भ की रक्षा होती है। शहद मिला कर पीने से तृष्णा और दाहयुक्त | [४८७] उशीरादीषडंगकषायः (७) तिजारी ज्वरका नाश होता है। [४८५] उशीरादीकषायः (५) (वृ. नि. र. ज्व.) (वै. जी. प्र. वि) उशीरचन्दनोदीच्यद्राक्षामलकपर्पटैः। उशीरकलशीमहौषधकिरातकांभोधरस्थिरा- शृतं शीतं जलं दद्याद्दाहतृड्ज्वरशांतये ॥ पहातका द्वयामृतलतात्रिकटैःकृतम् । कषाय- खस, लाल चन्दन, सुगन्धबाला, दाख, कममुं पिवत्पवनजज्वरय्याकुलःप्रमानदशश- आमला और पित्तपापड़ा, इनसे पकाकर ठंडा तच्छदछदमदग्रसल्लोचने किया हुआ जल दाह, तृषा और ज्वर का नाश खस, पृश्निपणी, सोंठ, चिरायता, नागर-करता है। ___ अथ उकारादि चूर्णप्रकरणम्। [४८८] उत्पलादि चूर्णम् उशीरं तगरं शुण्ठी ककोलं चन्दनद्वयम् । (भा. प्र., ज्वरातिसारे) लवज पिप्पलीमूलं कृष्णला नागकेशरम् ।। उत्पलं दाडिमत्वच पकेशरमेव च । मुस्तामधुककपरं तुगाक्षीरी च पत्रकम् । पीतं तण्डुलतोयेन ज्वशतिसारनाशनम् ॥ कृष्णा गुरुसमं चूर्ण सिता चाटगुणा तथा। नीलोफर, अनार का छाल और कमलकेसरके रक्तवान्तिश्च तापश्च नाशयेनात्र संशयः॥ चूर्ण को चावलों के पानी के साथ पीने से ज्चरा- ___ खस, तगर, सोंठ, कंकोल, लाल चन्दन, तिसार का नाश होता है। सफेद चन्दन, लौंग, पीपलामूल, कालीमिर्च, १८९] उशीरादि पूर्णम् (१) इलायची, नागकेसर, नागरमोथा, मुल्हैठी, कपूर, (म. र र पं.) * यहां मधु भी लिया जाता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy