SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५८ भामिनी विला से भावार्थ - हे जलधर ! वनाग्निकी लपटोंसे नष्टप्राय हो जानेके कारण लताएँ जिनसे गिर गयी हैं ऐसे, मुरझाये हुए वृक्षोंका तिरस्कार करके तुम जो पहाड़ोंके ऊँचे शिखरोंपर बहुतसा जल बरसातें हो यह तुम्हारा कौनसा श्रीमद है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टिप्पणी - मेघकी इस अन्योक्तिद्वारा कविने उन विवेकहीन धनमदान्धों को फटकारा है जो पात्र और अपात्रका विचार नहीं करते, अर्थात् सत्पात्रोंको न देकर कुपात्रोंमें धनका अपव्यय करते हैं । दवाग्निसे दग्धप्राय और मुरझाये हुए वृक्षोंपर यदि मेघ पानी बरसाता तो वे पुनः लहलहाते, किन्तु पहाड़ोंकी ऊँची जनहीन चोटियोंपर बरसा हुआ जल बेकार हो जायगा । फिर भी " मैंने जल बरसाया " ऐसा घमण्ड यदि मेघ करे तो वह व्यर्थ ही है; क्योंकि उन पर्वत शिखरोंपर बरसे जलकी कोई उपयोगिता नहीं । यहाँ जलधर पद साभिप्राय है । संस्कृत साहित्य में ल और ड में कोई अन्तर नहीं माना जाता । अतः जो मेघ ( आडम्बरी व्यक्ति ) जलों ( जड़ों या मूर्खों ) को धारण करता है उसका स्वयं भी मूर्ख या अविवेकी होना स्वाभाविक है, यह ध्वनि निकलती है । जटाल - जटा शब्द से निन्दा अर्थ में “सिध्मादिभ्यश्च " ( ५ | २|९७ पा० सूत्र ) से लच् प्रत्यय होकर जटाल शब्द बनता है । इसका वाच्य अर्थ है भद्दी जटाओंवाला । जटाएँ पीली होती हैं इसी लक्षणासे लम्बीलम्बी आगकी लपटोंके विशेषण रूप में इसका प्रयोग कविने किया है । भूरुहाणां - यह पद साकांक्ष सा प्रतीत होता है " वृक्षोंको छोड़कर " यह पद शेष रह जाता है । यहाँ वस्तुतः द्वितीया विभक्ति होनी चाहिये थी किन्तु ' षष्ठी चानादरे" ( २।३।३८ पा० सूत्र ) से अनादन अर्थ में षष्ठी विभक्ति हो जाती है और विभक्ति से ही अर्थ भाषित हो जाता है" इन वृक्षोंका अनादर करके " । अतः अन्य किसी नहीं रह जाती । की आवश्यकता For Private and Personal Use Only
SR No.020113
Book TitleBhamini Vilas ka Prastavik Anyokti Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagannath Pandit, Janardan Shastri Pandey
PublisherVishvavidyalay Prakashan
Publication Year1968
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy