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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पण्डितराज जगन्नाथ ८-समुदायप्रकारणके रचयिता जगन्नाथ सूरी। ९-शरभगजविलासके रचयिता जगन्नाथ पण्डित । १०-ज्ञानविलास के रचयिता जगन्नाथ ( नारायणदैवज्ञके पुत्र )। ११-अनुभोगकल्पतरूके प्रणेता जगन्नाथ। १२-शशिसेना नामक मराठी काव्यके रचयिता जगन्नाथ । भामिनीविलास कवि और काव्य ___ "कवेः कर्म काव्यं" व्याकरणके अनुसार यही काव्य शब्दकी व्युत्पत्ति है अर्थात् कविका कार्य ही काव्य है । "कवते इति कविः" अर्थात् किसी विषयका प्रदिपादन करनेवाला कवि कहलाता है । कोषकारोंने भी इसे इसीलिये पण्डितका पर्याय माना है-संख्यावान् पण्डितः कविः-अमरकोष । प्रारम्भसे कवि शब्द इसी अर्थमें प्रयुक्त होता रहा और यही कवि जो कुछ भी प्रतिपादन कर देता रहा वह काव्य कहलाया, जैसाकि अग्निपुराणमें काव्यका लक्षण किया गया है"संक्षेपाद्वाक्यमिष्टार्थव्यवच्छिन्ना पदावली काव्यम्" (जो कुछ हम कहना चाहते हैं उसे संक्षेपमें जिन पदोंसे कह सकें वे ही पद काव्य हैं) परन्तु ज्यों-ज्यों साहित्यशास्त्र का विकास होता गया त्यों-त्यों कविशब्दकी परिभाषा भी परिष्कृत होती गई। किसी विषयका सौन्दर्यपूर्ण वर्णन करनेवाला ही कवि कहा जाने लगा। यही कारण है कि केवल १०० श्लोकोंके रचयिता अमरु महाकवि कहे जाते हैं और हजारों श्लोकोंके रच यिता मनु, याज्ञवल्क्य या पराशरको कोई कवि नहीं कहता । आज हम कविकी परिभाषा इस प्रकार कर सकते हैं—जीवनको बिखरी अनुभूतियोंको अपने अगाध ज्ञान और विलक्षण प्रतिभाद्वारा समेटकर शब्द और अर्भके माध्यमसे कलापूर्ण ढंगसे प्रकट कर देनेवाला कवि For Private and Personal Use Only
SR No.020113
Book TitleBhamini Vilas ka Prastavik Anyokti Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagannath Pandit, Janardan Shastri Pandey
PublisherVishvavidyalay Prakashan
Publication Year1968
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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