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अन्य जगन्नाथ'
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और पण्डितराजने भट्टोजि और अप्पय खण्डन किया है । मनोरमाकुचमर्दनमें वे लिखते हैं
" इत्थं च 'ओत्' सूत्रगतः कोस्तुभग्रन्थः सर्वोप्यसंगत इति ध्येयम् । अधिकं कौस्तुभखण्डनादवसेयम्”
भामिनी - विलास
दीक्षितका जी भर कर
इस उद्धरणसे यह निश्चित है कि उन्होंने शब्दकौस्तुभके खण्डनपर अवश्य कोई ग्रन्थ लिखा था ।
पण्डितराजके अतिरिक्त जगन्नाथ नामके निम्नलिखित अन्य ग्रन्थकार भी संस्कृत - साहित्य में उपलब्ध होते हैं
१ - अश्वघाटी, रतिमन्मथ तथा वसुमतीपरिणयके रचयिता तंजौर निवासी
जगन्नाथ ।
२ - रेखागणित, सिद्धान्त-सम्राट् तथा सिद्धान्तकौस्तुभके रचयिता जयपुर निवासी सम्राट् जगन्नाथ 1
३ - विवादभङ्गाणंव के रचयिता जगन्नाथ तर्कपचानन ।
४ -- अतन्त्रचन्द्रिक नाटक- प्रणेता मैथिल जगन्नाथ ।
५ -- अनङ्गविजय भाणके रचयिता जगन्नाथ ( श्रीनिवासके पुत्र ) ।
६ सभातरङ्गके रचयिता जगन्नाथमिश्र ( हमारे विचारसे यह पूर्वोक्त मैथिल जगन्नाथ ही हैं ) 1
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- अद्वैतामृतके रचयिता जगन्नाथ सरस्वती ।
१. काव्यमाला सीरीज में प्रकाशित रसगंगाधरकी भूमिकासे साभार उद्धृत ।
२. इनके ग्रन्थोंपर वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालयके उपग्रन्थाध्यक्ष श्रीविभूतिभूषण भट्टाचार्यजीके निर्देशनमें श्रीमुरलीधर चतुर्वेदीने स्तुत्य अनुसन्धान कार्य किया है ।