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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १८ www.kobatirth.org अन्य जगन्नाथ' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir और पण्डितराजने भट्टोजि और अप्पय खण्डन किया है । मनोरमाकुचमर्दनमें वे लिखते हैं " इत्थं च 'ओत्' सूत्रगतः कोस्तुभग्रन्थः सर्वोप्यसंगत इति ध्येयम् । अधिकं कौस्तुभखण्डनादवसेयम्” भामिनी - विलास दीक्षितका जी भर कर इस उद्धरणसे यह निश्चित है कि उन्होंने शब्दकौस्तुभके खण्डनपर अवश्य कोई ग्रन्थ लिखा था । पण्डितराजके अतिरिक्त जगन्नाथ नामके निम्नलिखित अन्य ग्रन्थकार भी संस्कृत - साहित्य में उपलब्ध होते हैं १ - अश्वघाटी, रतिमन्मथ तथा वसुमतीपरिणयके रचयिता तंजौर निवासी जगन्नाथ । २ - रेखागणित, सिद्धान्त-सम्राट् तथा सिद्धान्तकौस्तुभके रचयिता जयपुर निवासी सम्राट् जगन्नाथ 1 ३ - विवादभङ्गाणंव के रचयिता जगन्नाथ तर्कपचानन । ४ -- अतन्त्रचन्द्रिक नाटक- प्रणेता मैथिल जगन्नाथ । ५ -- अनङ्गविजय भाणके रचयिता जगन्नाथ ( श्रीनिवासके पुत्र ) । ६ सभातरङ्गके रचयिता जगन्नाथमिश्र ( हमारे विचारसे यह पूर्वोक्त मैथिल जगन्नाथ ही हैं ) 1 For Private and Personal Use Only - अद्वैतामृतके रचयिता जगन्नाथ सरस्वती । १. काव्यमाला सीरीज में प्रकाशित रसगंगाधरकी भूमिकासे साभार उद्धृत । २. इनके ग्रन्थोंपर वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालयके उपग्रन्थाध्यक्ष श्रीविभूतिभूषण भट्टाचार्यजीके निर्देशनमें श्रीमुरलीधर चतुर्वेदीने स्तुत्य अनुसन्धान कार्य किया है ।
SR No.020113
Book TitleBhamini Vilas ka Prastavik Anyokti Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagannath Pandit, Janardan Shastri Pandey
PublisherVishvavidyalay Prakashan
Publication Year1968
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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