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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१११८ ॥
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स्कंध १ कथंचित् आत्मा - विद्यमान के, २ नाथंचिद् नोआत्मा-अविद्यमान छे, ३ आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे कथंचिद् | अवक्तव्य छे, ४ कथंचिद् आत्मा तथा कथंचित् नोआत्मा छे, ५ कथंचिद् आत्मा तथा नीआत्माओ छे, (एकवचन अने बहुवचन . ) ६ कथंचिद् आत्माओ अने नोआत्मा छे, (बहुवचन अने एकवचन.) ७ कथंचिद् आत्मा अने कथंचिद् आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, ८ कथंचित् आत्मा अने आत्माओ तथा नोआत्माओ - ए उभयरूपे अवक्तव्य के. ९ कथंचिद् आत्माओ अने आत्मा तथा नोआत्मा - ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, १० कथंचिद् नोआत्मा अने आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, ११ कथंचित् नोआत्मा अने आत्माओ तथा नोआत्माओ - ए बने रूपे अवक्तव्यो छे, १२ कथंचिद् नोआत्माओ अने आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, १३ कथंचिद् आत्मा, नोआत्मा अने आत्मा तथा नोआत्मा-ए बने रूपे अवक्तव्य छे.
सेकेणट्टे भंते ! एवं बुवइ तिपएसिए बंधे सिय आया एवं चैव उच्चारेपव्वं जाव मित्र आया य नो आया य अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य ?, गोयमा ! अप्पणो आइट्टे आया हूँ परस्स आइट्ठे नो आया २ तदुभ यस्स आइट्ठे अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य ३ देसे आइट्ठे सन्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असन्भावपज्जवे तिपरसिए खंधे आया य नो आया य ४ देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देमा आइट्ठा असम्भावपज्जवे तिपएसिए वंधे आया य नो आगाओ य ५ देसा आदिट्ठा सम्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असम्भावपज्जवे तिपएसिए बंधे आयाओ य से आया य६ देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देसे आदि तदुभयपज्जवे तिपएसिए बंधे आया य अबत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य ७ देते आदिट्ठे मन्भावपज्जवे देना आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए बंधे आया य
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१२ शतके
उद्देशः १० ॥१११८॥