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१२सके
व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१९१९॥
॥१११९॥
अवत्तब्वाइं आयाओ य नो आयाओ य ८ देसा आदिट्ठा सम्भावपज्जवा देसे आदिवै तदुभयपजवे तिपएसिए खंधे आयाओ य अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य ९ एए तिन्नि भंगा, देसे आदितु असम्भावपज्जवे देसे आ- दिढे तदुभयपज तिपएसिए खंधे नो आया व अवत्तव्वं आयाइ य नो आयाति य १० देसे आदिद्वे असभा| वपजवे देसा आदिहा तदुभयपनवा तिपएसिए खंधे नो आया य अवत्तब्वाइं आयाओ य नो आयाओ य११ | देसा आदिट्टा असम्भावपज्जवा देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए ग्बंधे नो आयाओ य अवत्तव्वं आयाति य
नो आयाति य २ देसे आदिढे सम्भावपज्जवे देसे आदितु असम्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपनवे तिपएसिए खंधे आया य नो आया य अवत्तव्वं आयाति यनो आयाइ य १३ से तेण?णं गोयमा! एवं वुच तिपएसिए खंधे सिय आया तं चेव जाव नो आयाति य॥ .
[प०] हे भगवन् ! ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के, "त्रिप्रदेशिक स्कंध कथंचिद् आत्मा छे-इत्यादि पूर्व प्रमाणे कहेचं, यावद् कथंचिद् आत्मा, नोआत्मा अने आत्मा तथा नोआत्मारूपे अबक्तव्य छ १ [उ०] हे गौतम! (त्रिप्रदेशिक स्कंध) पोताना आदेशथी ? आत्मा छे, २ परना-आदेशथी नोआत्मा छे, ३ उभयना आदेशथी आत्मा अने नोआत्मा-ए उभय रूपे अवक्तव्य छे, ४ एक देशना आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने एक देशना आदेशथी असद्भावपर्यायनी अपेक्षाए त्रिप्रदेशिक स्कंध आत्मा अने नोआत्मारूप छे, ५ एक देशना आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने देशोना आदेशथी असद्भावपर्यायनी अपेक्षाए ते त्रिप्रदेशिकस्कंध आत्मा तथा नोआत्माओछे, ६ देशोना आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने देशना आदेशथी असद्भाव
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