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|१२शतके
उद्देशः१. १११७॥
३ उभयना आदेशथी आत्मा अने नोआत्मा-ए उभयरूपे अवक्तव्य छे, ४ एक देशनी अपेक्षाए सद्भावपर्यायनी विवक्षाथी अने माख्या
एक देशनी अपेक्षाए असद्भावपर्यायनी विवक्षाथी द्विप्रदेशिक स्कंध आत्मा-विद्यमान, तथा नोआत्मा-अविद्यमान के, ५ एक देशना ॥१११७॥
आदेशथी सद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने एक देशना आदेशथी सद्भाव अने असद्भाव ए बने पर्यायनी अपेक्षाए द्विप्रदेशिक स्कंध आत्मा-विद्यमान अने आत्मा तथा नोआत्मा ए उभयरूपे अबक्तव्य छे. ६ एक देशना आदेशथी असद्भावपर्यायनी अपेक्षाए अने एक देशना आदेशथी सद्भाव अने असद्भाव-ए वन्ने पर्यायनी अपेक्षाए ते द्विप्रदेशिक स्कंध नोआत्मा-अविद्यमान अने आत्मा तथा| | नोआत्मारूपे अवक्तव्य छे. ते हेतुथी ए प्रमाणे कर्जा के के यावद-नोआत्मा-अविद्यमान छे.'
आया भंते! तिपएसिए खंधे अन्ने तिपएसिए खंधे?, गोयमा! तिपएसिए खंधे सिय आया १ मिय नो आयार सिय अवत्तव्वं आयाति य नो आयाति य सिय आया य नो आया यह सिय आया य नो आयाओ य ५ सिय आयाओ य नो आया य ६ सिय आया य अवत्तध्वं आयाति य नो आयाति य ७ सिय आयाइय अवत्तब्वाइं आयाओ य नो आयाओ य ८ सिय आयाओ य अवत्तब्वं आयाति य नो आयाति य९सिय नो आया य अवत्तब्बं आयाति य नो आयाति य १० सिय आया व अवत्तव्बाई आयाओ य नो आयाओ य ११ सिय नो आयाओ य अवत्तब्द आयाइ य नो आयाइ य १२ सिय आया य नो आया य अवत्तब्बं आयाइ जय नो आयाह य १३ ॥
[प्र०] हे भगवन् ! विप्रदेशिक स्कंध आत्मा-विद्यमान के के तेथी अन्य त्रिप्रदेशिक स्कंध १ [उ.] हे गौतम! त्रिप्रदेशिक
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