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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१११६॥
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आदिढे नो आया २ तदुभयस्स आपिढे अवत्तव्वं दुपएसिए खंधे आयाति य नो आयाति य ३ देसे आदिढे
* १२ सम्भावपजवे देसे आदिहे असम्भावपज्जवे दुप्पएमिए बंधे आया य नो आया य४ देसे आदितु सब्भावपज्जवे
उद्देशा१. देसे आदितु तदुभयपजवे दुपएसिए खंधे आया य अवत्तव्यं आयाइयनो आयाइ य ५ देसे आदिवे असम्भा- त॥१११६॥ वपज्जये देसे आदितु तदुभयपनवे दुपएसिए खंधे नो आया य अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य ६ से तेणहेणं तं चेव जाव नो आयाति य॥
[०] हे भगवन् ! वेयक विमान आत्मा-विद्यमान ले के तेथी अन्य (अविद्यमान) अवेयक विमान के ? [उ.] ए बधुं | रत्नप्रभा पृथ्वीनी पेठे (मू१२) जाणवू, अने ते प्रमाणे अनुत्तर विमान तथा ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी (सिद्धशिला) मृधी जाण. [प्र०]] हे भगवन् ! एक परमाणुपुद्गल आत्मा-विद्यमान के के तेथी अन्य (अविद्यमान) परमाणुपुद्गल छ ? [उ०] हे गौतम ! जेम सौधर्मकल्प संबन्धे को (सू. १४) तेम एक परमाणुपुद्गलसंवन्धे पण जाणवू. [प्र०] हे भगवन् ! द्विप्रदेशिक स्कंध आत्मा-विद्यमान छे के तेथी अन्य द्विप्रदेशिक स्कंध छे? [उ०] हे गौतम ! द्विप्रदेशिक स्कंध १ कथंचित् आत्मा-विद्यमान छे. ९ कथंचिद्-नोआत्माअविद्यमान छे, अने ३ आत्मा तथा नोआत्मा रूपे कथंचिद् अबक्तव्य छे, ४ कथंचिद् आत्मा छे, अने कथंचिद् नोआत्मा पण छे, ५ कथंचिद् आत्मा छे, अने आत्मा तथा नोआत्मा-ए उभयरूपे अबक्तव्य छ, ६ कथंचित् नोआत्मा छे, अने आत्मा अने नोआत्मा-उभयरूपे अवक्तव्य छे. [प्र०] हे भगवन् ! ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के-इत्यादि पूर्वोक्त यावद्-आत्मा अने नोआत्मा-ए उभयरूपे अवक्तव्य छे ! [उ०] हे गौतम! १ (द्विप्रदेशिक स्कंध) पोताना आदेशथी आत्मा छे, २ परना आदेशथी नोआत्मा छे,
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